श्रद्धा से मनाया गया श्री गुरु अमरदास जी महाराज का प्रकाश पर्व

श्रद्धा से मनाया गया श्री गुरु अमरदास जी महाराज का प्रकाश पर्व

लखनऊ। निआसरों के आसरे, निमानियों के मान, नितानियों के तान सिखों के तीसरे गुरु साहिब श्री गुरु अमरदास जी महाराज का प्रकाश पर्व गुरूवार को श्रद्धा और भक्ति से मनाया गया। इस अवसर पर गुरूद्वारों में शबद-कीर्तन हुए और गुरू का लंगर वितरित किया गया।

यहियागंज स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी में कानपुर से आए भाई भूपेंद्र सिंह गुरदासपुरी, भाई सुरेंद्र सिंह, भाई कुलदीप सिंहराजा एवं भाई रकम सिंह ने शबद -कीर्तन कर संगत को निहाल कर दिया। कार्यक्रम की समाप्ति पर गुरु का लंगर एवं प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा अध्यक्ष डॉ गुरमीत सिंह, सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी , अमरजोत सिंह सहित अन्य भक्तगण उपस्थित थे।

नाका हिन्डोला स्थित ऐतिहासिक श्री गुरू सिंह सभा गुरुद्वारा में हजूरी रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने शबद कीर्तन’ भले अमरदास गुण तेरे, तेरी उपमा तोहे बन आवै। का गायन एवं नाम सिमरन करवाया। ज्ञानी सुखदेव सिंह ने श्री गुरु अमरदास जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरू जी का जन्म अमृतसर में हुआ था। उनके पिता जी का नाम तेजभान व माता का नाम सुलखणी जी था। उनका जीवन बड़ा महान था। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। दीवान की समाप्ति के उपरान्त अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्ग ने समूह संगत को साहिब श्री गुरु अमरदास जी महाराज के प्रकाश पर्व (प्रकाशोत्सव) की बधाई दी । उसके पश्वात् गुरु का लंगर वितरित किया गया। महामंत्री हरमिन्दर सिंह की देखरेख में लंगर वितरण करने की सेवा दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों ने की।
गुरूद्वारा सदर में सुखमनि साहब के पाठ के दीवान की शुरूआत हुई। हेड ग्रंथि ज्ञानी हरविंदर सिंह ने गुरु अमरदास जी के जीवन पर व्याख्यान दिया। बताया कि गुरु अमरदास जी की वाणी 17 रागों में संपादित (संग्रहित) है। गुरुद्वारा अध्यक्ष सरदार हरपाल सिंह ने बताया कि गुरु अमरदास जी ने पहले पंगत पीछे संगत को बल देते हुए बिना किसी जात- पात या ऊंच- नीच का भेदभाव करते हुए एक साथ मिलकर लंगर छकने पर बल दिया। उन्होंने सती प्रथा का विरोध किया । अकबर ने गुरुजी से प्रभावित होकर इनके निवेदन पर जजिया टैक्स हटा दिया था। दीवान के समाप्ति के बाद लंगर हुआ।

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