लखनऊ। अस्थमा एक सांस की बीमारी है। इस बीमारी में मरीज को घबराहट, खांसी, सीने में जकड़न व सांस लेने में दिक्कत होती है। वैसे इस बीमारी के कई कारण हैं लेकिन भारत में वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा के मरीज बढ़ रहे हैं। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा.वेद प्रकाश ने दी।
डा. वेद प्रकाश ने बताया कि अस्थमा एक आम बीमारी है, जो दुनियाभर में अनुमानित 34 करोड़ लोगों को प्रभावित करती है। यह बीमारी छोटे उम्र के बच्चों में भी पायी जाती है। वहीं पुरूषों की तुलना में महिलाओं में अस्थमा अधिक पाया जाता है। ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2018 के अनुसार लगभग 74 मिलियन लोग अस्थमा से प्रभावित हैं। जिसमें से लगभग 2-3 प्रतिशत बच्चे प्रभावित हैं। एक अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में अस्थमा से पीड़ित केवल पांच प्रतिशत लोगों का सही निदान और उपचार किया जाता है।
अस्थमा के लक्षण- सांस फूलना, खांसी आना, मरीज के सीने में कसाव व दर्द महसूस होना। बच्चों में अस्थमा का महत्वपूर्ण लक्षण सुबह या रात में खांसी व सांस फूलना और पसली न चलना।
अस्थमा के कारण- आनुवांसिक कारण, पर्यावरणीय एलर्जी, वायु प्रदूषण, रेस्पिरेटरी इंफेक्शन,पर्यावरणीय कारण, व्यायाम अस्थमा।
अस्थमा से बचाव व उपचार
जिन लोगों को अस्थमा एलर्जी के कारण होता है,उनके लिए एंटीहिस्टामाइन और एलजी शाट्स जैसी एलर्जी की दवाएं मददगार हो सकती हैं। जीवनशैली में बदलाव व नियमित प्राणायाम भी अस्थमा मरीजों के लिए कारगर साबित हो सकता है। इसके अलावा तम्बाक,धूम्रपान से दूरी बनाकर इस बीमारी से बच सकते हैं।
कार्यशाला का आयोजन
विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर मंगलवार को केजीएमयू में अस्थमा के शीघ्र निदान और उचित उपचार के महत्व पर कार्यशाला आयोजित की गयी है। इस अवसर पर एसजीपीजीआई के निदेशक डा.आर.के.धीमान,वरिष्ठ चेस्ट विशेषज्ञ डा.राजेन्द्र प्रसाद,डा.विनीत शर्मा और डा.आर.ए.एस कुशवाहा व्याख्यान देंगे।