विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति और रोजगार लोग हो रहे रुबरु

विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति और रोजगार लोग हो रहे रुबरु

लखनऊ। ये शहद कितने का है ? 510 रूपये का, और ये वाला 185 रूपये का. दोनों में फर्क क्या ? ये अलग—अलग पेड़ों के शहर है,सबके दाम भी अलग—अलग है। कुछ गपशप इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में चल रहे दो दिवसीय नेशनल क्लाइमेट कॉन्क्लेव—2023 में देखने को मिल रही है। कहीं पर मोटे अनाजों से बना पापड़ से लेकर अचार तक तो कहीं पर बांस से बने सजावटी सामान, कहीं सेहत का ख्याल रखते हुए लगा हुआ है मधु से बने विभिन्न उत्पाद। हम बात कर रहे हैं इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में विभिन्न प्रदेशों के लगे स्टाल की। यही नहीं,कई जगह वन के प्रति आकर्षित करते लोगों के स्टाल तो कुछ स्टाल प्रकृति के प्रति प्रेम भावना को जगाते हुए भी लगे हुए हैं।

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में चल रहे दो दिवसीय नेशनल क्लाइमेट काॅन्क्लेव-2023’ में विभिन्न प्रदेशों के स्टाल भी लगे हैं, जो लोगों को बरबस ही आकर्षित कर रहे हैं। उड़ीसा सरकार के एक स्टाल पर बैठीं स्नेहलता बताती हैं कि मिशन शक्ति के तहत वहां पर दो सौ से अधिक महिलाओं को मिलेट्स के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जो आज अपना स्वरोजगार चला रही हैं। उन्हीं उत्पादों का प्रदर्शनी के तौर पर यहां रखा गया है। उस स्टाल पर रागी का ही लड्डू, मूंगफली का पकौड़ा, रागी आटा उपलब्ध था। पैकेट बंद रागी के आधा किलो आटा का मूल्य 65 रुपये है।

300 को दिया प्रशिक्षण

वहीं असम के साइंस और टेक्नाॅलाजी विभाग के एक स्टाल पर बांस से बने सभी आइटम उपलब्ध थे। उस पर बैठे उत्पल दास ने बताया कि सरकार द्वारा इस प्रोग्राम के तहत 300 लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार की ओर उन्मुख किया जा चुका है। उनके स्टाल पर बांस से बनी डलिया से लेकर बांस के पर्स और अन्य सामान उपलब्ध थे। उनके साथ ही अरुणांचल का भी एक स्टाल लगा हुआ था।

विभिन्न पेड़ों के शहर के अलग—अलग रेट

वहीं हनी के स्टाल पर जाते ही लोगों को सेहत की याद आ जाती है। वहां पर आधा किलो शहद की कीमत 185 रुपये से लेकर 510 रुपये तक है। इसका कारण है कि यदि यूकोलिपिटस के पेड़ का शहद लेते हैं तो 185 रुपये का आधा किलो मिलेगा। वहीं यदि जामुन के पेड़ का मधु लेंगे तो 510 रुपये का आधा किलो। ऐसे ही विभिन्न पेड़ों के शहद के विभिन्न रेट निर्धारित हैं। यही नहीं, मधुमक्खी के छत्ते से बना टूथपेस्ट और साबुन भी उपलब्ध था। वहीं पराग से बना विटामिन भी उस स्टाॅल पर देखने को मिल रहा था।

E-Magazine