लखनऊ शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में बड़ी बाधा बने ई-रिक्शा की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जेसीपी कानून व्यवस्था ने कई दिन निरीक्षण करने के बाद एक प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव के मुताबिक शहर को जोन में बांट कर वहां ई-रिक्शा का संचालन कराया जाये। हर जोन के ई-क्शा का रंग अलग-अलग रखा जाए। इन जोन में ई-रिक्शा की संख्या सीमित रखी जाये। साथ ही एक तय सीमा के बाद ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन आरटीओ से ही बंद कर दिया जाए। परिवहन विभाग और ऑटो टेम्पो एसोसिएशन की पिछली मांगों को देखते हुए तैयार किए गए इस प्रस्ताव को पुलिस कमिश्नर को भेज दिया गया है।
जेसीपी कानून व्यवस्था उपेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि पिछले काफी समस्या से ई-रिक्शा के बेरतरतीब संचालन से लोगों को काफी दिक्कतें हो रही है। इस बारे में कई व्यापारी संगठनों ने भी ज्ञापन दिए हैं। ई-रिक्शा को परमिट की जरूरत नहीं होती है इसलिये इनका रूट भी निर्धारित नहीं है। आरटीओ के मुताबिक शहर में 50 हजार से अधिक ई-रिक्शा शहर में फर्राटा भर रहे हैं। रोजाना 800-900 नए ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेन हो रहा है। इससे साफ है कि ई-रिक्शा की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
भीड़-भाड़ वाले इलाकों में ई-रिक्शा की बाढ़
प्रस्ताव में कहा गया है कि ई-रिक्शा का रूट निर्धारित नहीं है। इस वजह से भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर ज्यादा ई-रिक्शा चल रहे हैं। इससे अक्सर जाम लगता है। इन ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन अस्वीकार करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसके लिये एमवी एक्ट में संशोधन करने की भी जरूरत है कि एक रूट पर पर्याप्त संख्या में ई रिक्शा का रजिस्ट्रेशन हो जाने पर नये ई-रिक्शा का पंजीकरण न हो।