लखनऊ विश्वविद्यालय ने छात्रों को बढाने के लिए तैयार की योजना

लखनऊ विश्वविद्यालय ने छात्रों को बढाने के लिए तैयार की योजना

लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों के लिए नवाचार, कौशल विकास, रोजगार और उद्यमशीलता के अवसरों को बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न गतिविधियों को प्राथमिकता देने और बढ़ावा देने की योजना तैयार की है। इन योजनाओं में अल्पकालिक, मध्यावधि और दीर्घकालिक लक्ष्य शामिल हैं। विश्वविद्यालय कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने का इरादा रखता है। इसमें इंस्ट्रूमेंटेशन, इक्विपमेंट हैंडलिंग और डिजाइनिंग जैसे क्षेत्रों में छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए मौजूदा शोध बुनियादी ढांचे का उपयोग करना शामिल है। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना का औपचाररक करण दल (पीएमएफएमई) के तहत वर्ष में दो बार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है। इसके अलावा एक व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की कल्पना की गई है। जिसमें नैनो टेक्नोलॉजी और ड्रग डिलीवरी के लिए नैनो सामग्री, प्राकृतिक उत्पाद अनुसंधान, एनएबीसीएल प्रमाणन के साथ खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला और फैशन डिजाइनिंग जैसे विशेष क्षेत्र शामिल हैं। विश्वविद्यालय का उद्देश्य कौशल विकास केंद्र स्थापित करना है। यह केंद्र उद्योग और सरकार द्वारा समर्थित आवश्यकता-आधारित पाठ्यक्रमों की पेशकश करेगा। साथ ही विश्वविद्यालय एक केंद्रीकृत प्लेसमेंट सेल के माध्यम से कौशल विकास कार्यक्रमों को कैरियर के अवसरों से जोड़ने की योजना बना रहा है। इस प्रकार वे न केवल नौकरी चाहने वाले बल्कि नौकरी प्रदाता भी बनेंगे। विश्वविद्यालय एक मोबाइल कौशल विकास प्रयोगशाला विकसित करेगा। जिससे कौशल को जन-जन तक पहुंचाया जा सके। इसके अतिरिक्त, अभिनव प्रथाओं के पेटेंट और भौगोलिक संकेत (जीआई) टैगिंग में नवीन प्रथाओं की सहायता के लिए पेटेंटिंग प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाएंगी। प्रो पूनम टंडन, डीन अकादमिक्स ने बताया कि इन व्यापक योजनाओं के माध्यम से लखनऊ विश्वविद्यालय अपने छात्रों को आवश्यक कौशल, ज्ञान और विभिन्न क्षेत्रों में फलने-फूलने, उद्यमिता को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन और सामाजिक विकास दोनों में योगदान करने के अवसरों से लैस करने की कल्पना करता है। वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय का कहना है कि इस विजन प्लान का अंतिम लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्र अपने अकादमिक ज्ञान को मुद्रीकरण योग्य कौशल में तब्दील करने में सक्षम हों। कुशल कर्मियों और नौकरी सृजकों के रूप में समाज की सेवा कर सकें।

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