ओडिशा रेल हादसे को तकरीबन दो सप्ताह का वक्त बीत चुका है लेकिन, इतने दिन बीत जाने के बाद भी बचने वाले खुशनसीब उस भयानक दुर्घटना के जख्मों से नहीं उबर पा रहे हैं। रेल हादसे के घायल अब डिसआर्डर का शिकार हो रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बालासोर ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना में बचे कई लोग शारीरिक चोटों से उबर तो रहे हैं, लेकिन, उनकी मानसिक स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। किसी को रात में नींद नहीं आती, तो कोई अचानक रोने लगता है। हादसे की भयावहता अभी भी उनके जेहन में है। कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती 105 मरीजों में से लगभग 40 में पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) की प्रवृत्ति दिख रही है।
ओडिशा के बालासोर में हुए कोरोमंडल एक्सप्रेस रेल हादसे में कम से कम 288 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। 1100 से अधिक लोग इस हादसे में घायल हुए। घायलों में कईयों को हालांकि अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि कईयों का अलग-अलग अस्पताल में इलाज चल रहा है। अब यह बात सामने आई है कि हादसे में बचे कई घायल ट्रॉमा से गुजर रहे हैं। उनमें डिसआर्डर के लक्षण दिख रहे हैं। किसी को रात में नींद नहीं आती, तो कोई अचानक रोने लगता है। हादसे की भयावहता अभी भी उनके जेहन में है।
क्लीनिकल साइकोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जशोबंता महापात्र ने कहा कि हादसे में बचे लोगों की मानसिक स्थिति को देखते हुए अस्पताल ने सभी मरीजों की काउंसिलिंग शुरू कर दी है। डॉ. महापात्रा ने कहा, “इस तरह की दुर्घटना का जीवित बचे लोगों के दिमाग पर गंभीर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था। “कई गंभीर रूप से तनावग्रस्त, भयभीत, समय-समय पर घबराए हुए और मौन पाए गए। हम उनकी काउंसलिंग कर रहे हैं और उनके परिवार के सदस्यों के साथ बात कर रहे हैं।”