यूपी में नहीं बढ़ेगा बिजली दर,3 करोड़ उपभोक्ताओं को मिलेगा फायदा

यूपी में नहीं बढ़ेगा बिजली दर,3 करोड़ उपभोक्ताओं को मिलेगा फायदा

लखनऊ। यूपी के 3 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं लिए अच्छी खबर है। बिजली के नए दर की रेट घोषित हो गई है। इसमें पिछले साल के रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। नियामक आयोग ने बिजली दर बढ़ोतरी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। बिजली कंपनियों ने 18 से 23 फीसदी तक बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन उसके प्रस्ताव को फिलहाल खारिज कर दिया गया है। यूपी में पिछले चार साल से बिजली के रेट नहीं बढ़े है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि यूपी पहला राज्य बना है जहां पिछले चार साल से बिजली के रेट नहीं बढ़े हैं। हालांकि बिजली कंपनियां हर साल बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव देती है। लेकिन नियामक आयोग उसको खारिज करता जा रहा है। ऐसे में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। नोएडा पावर कंपनी इलाके के बिजली उपभोक्ताओं के रेट में कमी की गई है। यहां बिजली दर में 10 फीसदी की कमी की गई है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं को 7988 करोड़ रुपए सरप्लस निकला है। उपभोक्ताओं की बिजली रेट में जहां कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। वहीं बिजली विभाग में कार्यरत कर्मचारियों को झटका लगा है। सभी बिजली कर्मचारियों के यहां मीटर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। उसको लेकर सख्त आदेश दिया गया है। अभी तक आदेश के बाद भी प्रदेश के बिजली कर्मचारी अपने यहां मीटर नहीं लगाते थे। इसके अलावा वह कागजों में अपना लोड भी कम बताते थें।

33121 करोड़ रुपए सरप्लस पैसा विभाग के पास

यूपी में बिजली दर अगले 10 साल तक नहीं बढ़ेगी। दावा किया जा रहा है कि पूरे प्रदेश के उपभोक्ताओं का करीब 33121 करोड़ रुपए सरप्लस पैसा विभाग के पास पड़ा है। ऐसे में उसकी वजह से अगले 10 साल तक यूपी में बिजली दर नहीं बढ़ना चाहिए। यहां तक की अगर ठीक से लागू किया गया तो बिजली दर में कमी की जा सकती है। बिजली कंपनियों ने बताया था कि साल 2023-24 में बिजली कंपनियों ने 92564.89 करोड़ रुपए का खर्च दिखाया था। लेकिन आयोग ने इस खर्च को मानने से इनकार कर दिया। आयोग ने अपनी जांच में पाया कि 86579.51 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। बताया गया था कि पूरे साल में 140.96 बिलयन यूनिट बिजली खरीद की जरूरत पड़ेगी लेकिन उसको 133.45 बिलयन यूनिट ही अनुमोदित किया गया। कंपनियों के अधिकारियों ने दलील देते हुए बताया था कि लाइन लॉस करीब 14.90 प्रतिशत जाएगा लेकिन आयोग ने इसको भी खारिज करते हुए 10.30 तक लाइन लॉस लाने की बात कही है। लाइन लॉस कम करते ही विभाग का घाटा भी कम होगा।

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