म .पी चुनाव : प्रहलाद पटेल ने बोला की  मैंने कभी सोचा नहीं CM पद के लिए

म .पी चुनाव : प्रहलाद पटेल ने बोला की मैंने कभी सोचा नहीं CM पद के लिए

भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को इस बार विधानसभा चुनावों में बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा है। इनमें केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल का नाम महत्वपूर्ण है, जिन्हें लंबे समय से मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है।

पांच बार के लोकसभा सदस्य को विधानसभा का प्रत्याशी बनाया गया है। आपको कैसा लग रहा है?  
प्रहलाद पटेलः
 मैं खुश हूं। गौरवांन्वित भी हूं। केंद्रीय नेतृत्व का मैंने आभार भी प्रकट किया है। राजनीति की इतनी लंबी यात्रा के बाद मैं अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि पर लौटा हूं। हम राजनीतिक मूल्यों में गिरावट की चर्चाएं आजकल सुनते हैं। उस दृष्टि से मैं खुद को गौरवांन्वित महसूस करता हूं। मैं अपने परिवार की परंपरा और संस्कार के लिए माताजी-पिताजी, मेरे गुरुदेव सबका आभारी हूं। मेरे गुरुदेव की प्रेरणा से ही मेरे अनुज (नरसिंहपुर विधायक जालमसिंह पटेल) ने जो मिसाल कायम की है, वह अनुकरणीय है। उनके पास भी चुनाव लड़ने का प्रस्ताव था। इसके बाद भी उन्होंने मेरे लिए नरसिंहपुर की सीट छोड़ी। मैं इसके लिए उन्हें साधुवाद तो देता ही हूं। मैं नौजवान मित्रों और आने वाली पीढ़ी से इतना ही कहूंगा कि हम शुचिता और नैतिकता की राजनीति को संबल दें। यह भी राजनीति का बड़ा संकल्प होगा। इस दृष्टि से मैं बेहद सौभाग्यशाली हूं।

Prahlad Singh Patel Latest News, Updates in Hindi | प्रहलाद सिंह पटेल के  समाचार और अपडेट - AajTak

क्या आपने कभी सोचा था कि आप विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे? 
प्रहलाद पटेलः
 नहीं, मुझे नहीं लगता था कि मैं विधानसभा का चुनाव लड़ूंगा। मैं कभी इन बातों में उलझा नहीं कि यह लड़ूंगा और यह नहीं लड़ूंगा। एक अवसर आया था जब नरसिंहपुर की एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था। तब मैंने इंकार कर दिया था। यह सच है कि मेरे राजनीतिक स्वभाव या कार्यशैली में मैंने सदैव संगठन के लिए काम किया है या लोकसभा में काम किया है। उस दृष्टि से खुश हूं और गौरवान्वित हूं कि मुझे पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने का सौभाग्य मिला। अब इस सदन का सदस्य होने का भी सौभाग्य मिलेगा।

आप पहले अपने छोटे भाई जालम सिंह की सीट से चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे थे। क्या पार्टी ने सीट तय करने से पहले बातचीत की थी? 
प्रहलाद पटेलः 
मेरे अनुज को नरसिंहपुर से ही चुनाव लड़ना चाहिए, यह पार्टी का मत था। मुझे बाहर से लड़ने का प्रस्ताव था। मेरे अनुज तैयार नहीं थे कि दोनों भाइयों को चुनाव लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आप कहीं से भी चुनाव लड़ेंगे तो मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा। यह दो-तीन ऐसी बातें थीं जो उन्होंने पार्टी के सामने रखीं। आगे पार्टी ने उन्हें बुलाकर जो बातें कही है, वह गरिमापूर्ण और गर्व पैदा करने वाली हैं।

तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ने उतार दिया है। पार्टी की क्या रणनीति है? 
प्रहलाद पटेलः रणनीति यही है कि हम 18 साल से यहां सरकार में काबिज है। ऐसी स्थिति में अनुभवी लोगों को राज्य की राजनीति में लेकर आना चाहिए। सभी वरिष्ठ सांसद हैं। मुझे लगता है कि यह पार्टी का अच्छा फैसला है। बहुत दूरगामी ओर अच्छे परिणाम देने वाला निर्णय है।

मुख्यमंत्री (शिवराज सिंह चौहान) कह रहे हैं कि भैया चला जाएगा तो बहुत याद आएगा। क्या पार्टी ने उनको कोई संकेत दे दिए? 
प्रहलाद पटेलः नहीं, मैंने सुना नहीं और देखा नहीं। इस वजह से इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। यदि वह कहते हैं कि बहुत याद आएंगे तो यह उनका आत्मविश्वास है। उन्होंने पार्टी और संगठन में जहां भी काम किया हो, उनका यह आत्मविश्वास गौरवान्वित करता है।

सूची में तीन नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे हैं। प्रहलाद पटेल इस बारे में क्या सोचते हैं? 
प्रहलाद पटेलः मुझे लगता है कि यह अटकलबाजियों वाली बात है। मैं इसे आलोचना की दृष्टि से नहीं कह रहा हूं। भाजपा के कार्यकर्ता का काम यह है कि उसे जो उत्तरदायित्व दिया जाए, उसे वह ईमानदारी से पूरा करें। मेरे जीवन में अतीत को देख सकते हैं तो मैं सिवनी, बालाघाट, दमोह, छिंदवाड़ा और अब नरसिंहपुर आया हूं। हम इतना ही सोच सकते हैं। इससे ज्यादा सोचने की जरूरत भी नहीं है।

बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए गए। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है तो आप यहां कुछ पहल करेंगे? 
प्रहलाद पटेलः 
मैं समझता हूं कि यह भटकाने वाली बात है। सवाल है नीयत का। मैं खुद पिछड़ी जाति से हूं। उस समय मंडल कमीशन का जोर था। 1991 का अंतिम इंटरव्यू था। मैंने कहा था कि मेरी जाति पिछड़ी है। मैं पिछड़ा नहीं हूं। क्रीमीलेयर की बात 1996 में आई थी, लेकिन आजादी से लेकर अब तक का कालखंड है, कांग्रेस हो या उसके सहयोगी संगठन, यदि कोई प्रधानमंत्री पिछड़े वर्ग से बना है तो उसे बनाने वाली पार्टी भाजपा है। आज नरेंद्र मोदी साढ़े नौ साल से प्रधानमंत्री हैं। मुझे लगता है कि जो पिछड़ा का वोट बटोरते रहे, जातिवाद के नाम पर वोट बटोरते रहे, वे कहां थे, जब सरकार में थे? पिछड़ा वर्ग कमीशन को संवैधानिक मान्यता तक नहीं थी? हम जितने भी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्रियों को देखें तो पिछड़ों को अगुवा करने वाली पार्टी भाजपा है। हमने पिछड़ों के वोट के लिए नहीं किया। हमने नेतृत्व दिया। महिला आरक्षण बिल तो उससे भी आगे जाता है। उससे पहले जी-20 की सफलता से दुनिया में जो परचम फहराया है, उसे देखें। इन बड़ी सफलताओं को विवाद में डालने की विपक्ष की कोशिश कभी सफल नहीं होगी।

विंध्य में आपकी पार्टी में बगावत देखने को मिल रही है। केदारनाथ शुक्ला शक्ति प्रदर्शन कर रहे है। आम आदमी पार्टी भी कांटे की टक्कर देती दिख रही है। 
प्रहलाद पटेलः 
नहीं, मुझे लगता है कि कार्यकर्ता संयम नहीं रख पाता। मैं नहीं मानता कि पार्टी इसे हैंडल नहीं कर सकती। केदारनाथ शुक्ला जी को मैं जानता हूं। उनका सम्मान करता हूं। यदि वह कोई ऐसा फैसला ले रहे हैं तो मैं उसे गलत फैसला कहूंगा।

ग्वालियर-चंबल अंचल में भी आपकी पार्टी में भगदड़ मची हुई है। 
प्रहलाद पटेलः भाजपा से ज्यादा कांग्रेस में भगदड़ मची है।

2023 में भाजपा कितनी सीटें जीतेगी? 
प्रहलाद पटेलः इस बार भारतीय जनता पार्टी 2003 के परिणाम दोहराएगी। (2003 में भाजपा ने उमा भारती के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में 173 सीट जीती थी और दिग्विजय सिंह को सत्ता से बाहर किया था। यह भाजपा का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। उसके बाद से कांग्रेस 2018 से 2020 तक छोड़कर विपक्ष में ही रही है।)

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