मोरपंख के रंगों से सजे रैपिडएक्स के स्टेशनों में होंगी कई सुविधाएं

मोरपंख के रंगों से सजे रैपिडएक्स के स्टेशनों में होंगी कई सुविधाएं

गाजियाबाद। एनसीआरटीसी द्वारा भारत के प्रथम रीजनल रेल कॉरिडोर के लिए निर्मित रैपिडएक्स स्टेशनों के रंगों की प्रेरणा मोरपंख के रंगों से ली गई है। आरआरटीएस कॉरिडोर के प्रायोरिटी सेक्शन के स्टेशन परिचालन के लिए तैयार हो चुके हैं और यह पूरा कॉरिडोर मोरपंख के रंगों की रंगावली में सजा हुआ नज़र आने लगा है। लोगों को सार्वजनिक परिवहन के साधनों से यात्रा करने के लिए प्रेरित करने के लिए एनसीआरटीसी ने स्टेशनों की संरचना के हर आयाम पर विशेष ध्यान दिया है और यात्रियों की हर छोटी-बड़ी ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए उसे स्टेशन डिज़ाइन में शामिल किया है।

एनसीआरटीसी के प्रवक्ता पुनीत वत्स ने बताया कि स्टेशन के बाहरी फसाड के रंगों की प्रेरणा भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर के पंखों की छटा में बिखरी रंगावली से ली गई है। फसाड की संरचना को नीले रंग के दो शेड्स और बेज़ रंग में बनाया गया है। रैपिडएक्स कॉरिडोर के स्टेशनों की बाहरी छत के दोनों किनारों को उठा हुआ बनाया गया है जो गति को दर्शाता है जो रैपिडएक्स ट्रेनों की प्रमुख विशेषता है। इस विशेष डिज़ाइन के पीछे एक वजह यह भी है कि रैपिडएक्स कॉरिडोर के स्टेशनों की चौड़ाई प्रत्येक स्टेशन के हिसाब से अलग-अलग हैं। ऐसे में उनमें एकरसता और लीनियर डिज़ाइन को दर्शाने के लिए इसे ख़ास आकार दिया गया है।

उन्होंने बताया कि एनसीआरटीसी ने यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए और प्रकृति से सामंजस्य बनाते हुए स्टेशन को हवादार, खुला और प्राकृतिक रोशनी से प्रकाशित बनाया है। इसके लिए स्टेशनों की दीवार के लिए बेज़ रंग के छिद्रित पैनल लगाए गए हैं। जो आसपास के वातावरण के साथ एकीकरण को भी दर्शाते हैं। साथ ही रेलिंग के साथ-साथ बेज़ रंग के लूव्र लगाए गए हैं जो स्टेशन में हवा का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करते हैं।

उन्होंने बताया कि स्टेशन के विस्तार के पैमाने को दर्शाने और स्टेशन को ख़ास पहचान देने के लिए, फसाड की संकल्पना स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल से ही की गई है। इस डिज़ाइन की एक विशिष्टता यह भी है कि मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन के अंतर्गत बनाए गए फुट-ओवर ब्रिज भी इन्हीं रंगों में रंगे होंगे। यानी हर मौसम में, धूप और बारिश से यात्रियों के बचाव के लिए उनको भी कवर किया गया है। साथ ही, सड़क के दोनों किनारे रहने वाले लोगों की सुगमता के लिए और स्टेशन के बाहर ट्रैफिक जाम की स्थिति से बचने के लिए स्टेशन के प्रवेश-निकास द्वार को मेन कैरिजवे पर न बनाकर, उनके लिए सड़क के दोनों ओर एक विशिष्ट पैसेज बनाया गया है।

स्टेशन के अंदर भी डिज़ाइन के आयामों पर ख़ासा ध्यान दिया गया है। स्टेशन की फ्लोरिंग के लिए, जिन जगहों पर यात्रियों का आवागमन अधिक रहता है, वहां हार्ड मटेरियल जैसे ग्रेनाइट या इपॉक्सी का प्रयोग किया गया है। बाकी स्टेशन की फ्लोरिंग के लिए वैक्यूमाइज़्ड डेंस कॉनक्रीट (वीडीसी) का उपयोग किया गया है। वैक्यूमाइज़्ड कंक्रीट एक ऐसे प्रकार का कंक्रीट होता है, जिसमें कंक्रीट को मज़बूती प्रदान करने के लिए उसकी मिक्सिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले अतिरिक्त पानी को निकाल दिया जाता है। साथ ही सुंदरता के लिए इसमें ग्रेनाइट को मिलाया जाता है।

सभी स्टेशनों में, कॉनकोर्स लेवल के पेड एरिया में पीने के पानी और वॉशरूम की सुविधा दी गई है। कॉरिडोर के बड़े स्टेशनों में, जहां मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन के अंतर्गत कनेक्टिविटी दी जा रही है, वॉशरूम की सुविधा स्ट्रीट लेवल पर भी दी गई है। छोटे बच्चों के साथ यात्रा कर रहे यात्रियों की सुविधा का भी ख़ास ख्याल रखते हुए हर मल्टी-मॉडल इंटीग्रेशन प्रदान करने वाले स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल पर एक कक्ष का प्रावधान रखा गया है जिसमें डाइपर चेंजिंग स्टेशन भी बनाया गया है।

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