बारिश-ओला से प्रभावित किसानों को मोटे अनाजों का निःशुल्क बीज मिनीकिट

बारिश-ओला से प्रभावित किसानों को मोटे अनाजों का निःशुल्क बीज मिनीकिट

लखनऊ। ये होता है, श्एक पंथ दो काजश्। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश की सरकार मार्च की असमय बारिश से प्रभावित किसानों को राहत दे रही है तो साथ ही अंतरराष्ट्रीय मिलेट ईयर (2023) के मद्देजर मोटे अनाजों को प्रोत्साहन भी। पिछले दिनों सूबे के कृषि मंत्री की घोषणा इसका सबूत है।

सरकार बारिश एवं ओला से प्रभावित किसानों को मोटे अनाजों का निःशुल्क मिनीकिट दे रही है। बाकी किसानों के लिए ये बीज 50 फीसद अनुदान पर उपलब्ध होंगे। सरकार का मानना है कि इससे किसानों को मौसम की मार से फौरी राहत मिलेगी। उनको कम समय में बिना किसी खास लागत के पोषक तत्वों से भरपूर जायद की अतिरिक्त फसल भी मिल जाएगी। इससे सरकार की फसल सघनता का मकसद भी पूरा होगा।

एक अनुमान के अनुसार सरकार के इस कदम से मोटे अनाजों एवं जायद की फसलों का रकबा करीब 2.5 लाख हेक्टेयर बढ़ेगा और उत्पादन दोगुना हो जाएगा। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में जायद फसलों का आच्छादन लगभग 9 लाख हेक्टेयर है। जायद फसलों का आच्छादन बढ़ाने के लिए सरकार 15.31 करोड़ रुपये की वित्तीय मंजूरी भी दे चुकी है ताकि पूरा दाम लेकर बीज खरीदने वाले किसानों की अनुदान राशि इसी महीने डीबीटी के जरिए किसानों के खाते में पहुंच जाए। जायद एवं मोटे अनाजों के प्रमाणित एवं उन्नतिशील बीजों का वितरण भी कृषि विभाग के स्थानीय केंद्रों से शुरू हो चुका है।

अक्टूबर माह के अंत में जब खरीफ की फसल तैयार थी और किसान रबी की फसलों की तैयारी कर हे थे, उस समय भी इसी तरह अप्रत्याशित बारिश हुई थी। तब भी योगी सरकार किसानों के साथ नजर आयी। तब मुख्यमंत्री की पहल पर किसानों को 33 करोड़ रुपये के दलहनी फसलों के निःशुल्क बीज मिनीकिट के रूप में उपलब्ध कराए गये। इसमें चना (प्रति किट 16 किग्रा) एवं मसूर (प्रति किट 8 किग्रा) के 2.5 लाख मिनीकिट शामिल थे। इसके अलावा प्रदेश के कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) की उपयोगिता के अनुसार 28 हजार कुंतल दलहनी के अन्य फसलों के बीज भी किसानों को निःशुल्क दिए गये थे।

उल्लेखनीय है कि अपने पहले कार्यकाल की पहली कैबिनेट में ही सीएम योगी ने लघु-सीमांत किसानों के एक लाख रुपये तक के कुल 36 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया था। वह भी तब, जब पूर्ववर्ती सरकारों की लूट-खसोट के कारण खजाना खाली था। इसका लाभ 86 लाख किसानों को मिला। तबसे यह सिलसिला लगातार जारी है।

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