प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर हैं। हालांकि, पीएम मोदी इन सभी देशों की यात्रा के अंतिम चरण में पापुआ न्यू गिनी के बाद अब ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए हैं। पीएम मोदी का यह दौरा भारत के लिए बेहद खास है। मालूम हो कि यह पहली यात्रा है, जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने हिंद-प्रशांत देश पापुआ न्यू गिनी की यात्रा की हो। हालांकि, पीएम मोदी से पहले साल 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी यहां गए थे।
हिंद-प्रशांत में क्यों बढ़ी है भारत की चिंता?
पीएम मोदी की पापुआ न्यू गिनी की इस यात्रा को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक कूटनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। पापुआ न्यू गिनी में चीन के बढ़ते प्रभाव का खामियाजा पूरे हिंद-प्रशांत में देखने को मिल सकता है और इस क्षेत्र में सुरक्षा के लिए घातक साबित हो सकता है।
भारत और पापुआ न्यू गिनी के बीच कैसे हैं संबंध?
कोरोना महामारी के दौरान दुनिया के कई देशों ने जब इसकी टीका बनाने में कामयाब हो गए थे और कोरोना वैक्सीन को दूसरे अन्य देशों में निर्यात करने पर रोक लगा दिए थे, इस दौरान भारत ने इस द्वीपीय देश पापुआ न्यू गिनी की मदद की। भारत ने कोरोना महामारी के दौरान पापुआ न्यू गिनी को एक लाख 31 हजार खुराक भेजी थी।
- भारत ने द्वीपीय देश पापुआ न्यू गिनी में अपना पहला उच्चायोग आज से 27 साल पहले वर्ष 1996 में खोला था।
- पापुआ न्यू गिनी में उच्चायोग खोलने के 10 साल के बाद द्वीपीय देश ने साल 2006 में भारत में उच्चायोग शुरू किया था।
- पापुआ न्यू गिनी में यात्रा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी, इससे पहले साल 2016 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस देश की यात्रा की थी।
- भारत पापुआ न्यू गिनी को कई प्रकार का सामान निर्यात करता है, जिसमें टेक्सटाइल, दवा, सर्जिकल आइटम, साबुन, मशीनरी, आदी जरूरी सामान शामिल है।
- पापुआ न्यू गिनी को भारत समय-समय पर मानवीय सहायता देता रहता है। कोरोना महामारी के दौरान भारत ने इस द्वीपीय देश को एक लाख 31 वैक्सीन का खुराक मुहैया कराया था।
- पापुआ न्यू गिनी में करीब 3000 रहते हैं भारतीय