लखनऊ। प्रदेश में संस्कृत माध्यम से पठन-पाठन की व्यवस्था के लिए कुल 1166 संस्कृत माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए अभी तक केवल दो राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय थे, लेकिन हमारी सरकार ने 15 नवीन आवासीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना करने का निर्णय लिया है। यह जानकारी उप्र सरकार की माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने दी।
बुधवार को आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि अपनी विरासत के लिए जरूरी है संस्कृत को बढ़ावा देना। इसके लिए सरकार कृत संकल्पित है और उसके हिसाब से काम चल रहा है। सहायता प्राप्त 900 संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों की आधारित संरचना के विकास के लिए पहली बार 100 करोड़ रुपये की धनराशि दी गयी है। इसमें 95 प्रतिशत की धनराशि राज्य सरकार ने और पांच प्रतिशत की धनराशि की व्यवस्था संबंधित विद्यालय प्रबंधन समिति ने की है।
एक सवाल के जवाब ने कहा कि नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं और आगे भी भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी। नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री होंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश हित में दिनरात काम करते हैं, जबकि दूसरी पार्टियां स्व के हित में काम करती हैं। उनको देशहित से कुछ भी लेना-देना नहीं होता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण आज भारत का डंका पूरे विश्व में बज रहा है।
गुलाब देवी ने विद्यालयों की चर्चा करते हुए कहा कि सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए प्रथम बार पारदर्शी चयन प्रक्रिया बनायी गयी है तथा 518 मानदेय शिक्षकों की तैनाती की गयी है। पहली बार संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्यों एवं अध्यापकों की दक्षता संवर्धन के लिए पांच दिवसीय सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण 20 जुलाई से प्रारम्भ किया जा रहा है, जिसमें वित्तीय एवं विद्यालय प्रबंधन के साथ-साथ नवाचार शिक्षा का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रोजगार परक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वर्तमान सत्र से चार डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किये जा रहे हैं। इनमें पौरोहित्य, व्यवहारिक वास्तुशास्त्र, व्यवाहरिक ज्योतिष, योग विज्ञानम हैं। ये डिप्लोमा पाठ्यक्रम मान्यता प्राप्त विद्यालयों में स्ववित्तपोषित आधार पर संचालित होंगे।