प्याज की खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति होगी मजबूत

प्याज की खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति होगी मजबूत

कानपुर। प्याज औषधीय गुण की दृष्टि से काफी लाभकारी है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन सी की जरूरत होती है जो प्याज में मौजूद फाइटोकेमिकल्स शरीर में विटामिन सी को बढ़ाने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए प्याज की खेती करनी चाहिए। यह बातें शुक्रवार को सीएसए के कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ उद्यान वैज्ञानिक अरुण कुमार सिंह ने कही।

उन्होंने बताया कि प्याज की खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति तब मजबूत होगी, जब आधुनिक विधि का प्रयोग होगा। प्याज की फसल उत्पादन शुरू करने से लेकर भण्डारण तक वैज्ञानिक तरीके का किसान प्रयोग करें। डा. सिंह ने बताया कि प्याज की खेती पांच हजार वर्षो से पहले से होती आयी है। चूंकि प्याज में गंधक युक्त यौगिक पाये जाते हैं, इसी वजह से प्याज में गंध और तीखापन होता है। उन्होंने बताया कि औषधीय गुण की दृषि से इसके उपयोग से खून के प्लेट बनने में अवरोध पैदा होता है, जिससे मनुष्य की पतली नसों में खून के प्रवाह में बाधा पैदा नहीं होती है।

उन्होंने बताया कि इसका प्रयोग मसाले के रूप में,आयुर्वेदीय औषधि, भोजन स्वादिष्ट बनाने, सलाद बनाने, आंख की ज्योति बढ़ाने में, मवेशियों एवं मुर्गियों के भोजन के साथ ही कीटनाशक के रूप में भी उपयोग होता है। प्याज में विटामिन-सी, लोहा और चूना भी अधिक मात्रा में पाया जाता है।

उन्होंने बताया कि इसकी खेती के लिए समशीतोष्ण और वर्षा रहित जलवायु की सर्वोत्तम होती है। प्याज के लिए शुरू में 200 सेल्सियस गर्मी और 4 से 10 घंटे की धूप लेकिन बाद में 100 सेल्सियस गर्मी तथा 12 घंटे धूप अच्छी होती है। अन्य देशों में इसकी औसत उपज 15 टन प्रति हेक्टेयर है। वर्ष 1980 से अभी तक इसकी उपज में 65.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत वर्ष में औसत उपज 10.32 टन हेक्टेयर है जबकि विश्व के अन्य देशों में औसत उपज 15 टन प्रति बीघा है।

सीएसए के दलीप नगर कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ.अरुण कुमार सिंह ने बताया कि प्याज की खुदाई उपरांत तकनीकी तथा भंडारण आदि क्रियाएं वैज्ञानिक तरीके से की जाए। प्याज फसल की लगभग 50 प्रतिशत पौधों का ऊपरी भाग झुक जाने तथा पत्तियां पीली पड़ जाने के एक सप्ताह बाद खुदाई करनी चाहिए। वर्तमान समय में क्षेत्र की अधिकांश फसल लगभग पक कर तैयार है। कटाई उपरांत प्रबंधन में प्याज कंदो पर ढाई से 3 सेंटीमीटर छोड़कर ऊपर की सूखी पत्तियों को हटा देना चाहिए।

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