पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों का इतिहास बहुत अच्छा नहीं रहा है। या यूं कहें कि पाकिस्तान में कथित लोकतंत्र का ही इतिहास खून से लथपथ रहा है। इमरान खान पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री थे। मंगलवार को उन्हें कोर्ट के बाहर से गिरफ्तार कर लिया गया। इतिहास पर नजर डालें तो पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का मतलब ही है कि ओखल में सिर देना जिसके बाद मूसल पड़ना तय है। इमरान खान ने अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा किया था कि उनकी सेना से अनबन होने लगी। फिर होना क्या था या तो तख्तापलट होता या फिर किसी और को सत्ता की बागडोर दे दी जाती। हुआ भी वही, संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाकर इमरान को कुर्सी से उतार दिया गया और शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बन गए।
कोई प्रधानमंत्री नहीं पूरा कर पाया कार्यकाल
भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान में भी भारत जैसे लोकतंत्र की कल्पना की गई होगी। भारत एक तरफ आज दुनिया की सबसे बड़ा लोकतंत्र है तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान का एक भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल नहीं पूरा कर पाया। 1947 के बाद से अब तक केवल तीन प्रधानमंत्रियों ने चार साल का कार्यकाल पूरा किया है। इसके अलावा इमरान खान समेत पांच ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने कुर्सी पर बैठकर तीन साल काम किया।
सात केयरटेकर प्रधानमंत्री
पाकिस्तान में अब तक सात केयरटेकर प्रधानमंत्री रह चुके हैं। 19 लोग अब तक पाकिस्तान के इतिहास में प्रधानमंत्री बने हैं। इसमें नवाज शरीफ तीन बार, उनकी विरोधी रहीं बेनजीर बुट्टो दो बार पीएम का पद संभाल चुकी हैं लेकिन उनका कार्यकाल एक बार भी पूरा नहीं हो पाया।
तख्तापलट आम बात
पाकिस्तान के इतिहास पर गौर करें तो यहां तख्तापलट तो जैसे आसान बात हो गई थी। तीन बार ऐसा हो चुका है कि सेना ने सिविलियन सरकार को हटा दिया और तख्तापलट हो गया। पहली बार 1958 में फिरोज खान नून की सरकार को मार्शल लॉ लगाकर जनरल अयूब खान ने हटा दिया था। इसके बाद 1977 में जनरल जियाउल हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को हटाया। तीसरी बार जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को हटाकर तख्तापलट कर दिया था।
पाकिस्तान में अब तक चार ऐसे सेना के जनरल रह चुके हैं जिन्होंने राष्ट्रपति के रूप में शासन किया है। 75 साल के इतिहास में पाकिस्तान में 32 साल सैन्य शासन रहा। जनरल जिया 1978 से 1988 तक, जनरल याहया खान 1969 से 1971 तक और जनरल परवेज मुशर्रफ 2001 से 2007 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति और सेना प्रमुख पद पर रहे। वहीं पांच प्रधानमंत्री ऐसे रहे हैं जिन्होंने सैन्य प्रशासक राष्ट्रपति के अंडर में काम किया। नवाज शरीफ ने तीन बार में साढ़े 9 साल का कार्यकाल पूरा किया था।