दिल्ली में एक बार फिर आप सरकार और उपराज्यपाल आमने-सामने..

दिल्ली विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र आज सोमवार को छह मिनट देरी से शुरू हो चुका है। स्पीकर रामनिवास गोयल की अनुपस्थिति में डिप्टी स्पीकर राखी बिड़लान ने सदन का संचालन संभाला है।

BJP के इशारे पर दिल्ली सरकार को किया जा रहा परेशान

इस दौरान सदन में सीबीआई द्वारा सीएम केजरीवाल के साथ पूछताछ मामले को लेकर जोरदार तरीके से चर्चा हो सकती है। सीबीआई नोटिस मामले पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित आप के विधायक अपनी बात रखेंगे। आप नेताओं का कहना है कि भाजपा के इशारे पर दिल्ली सरकार को परेशान करने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिशी बिजली पर मिल रहे सब्सिडी को लेकर चर्चा कर सकती हैं।

विस का विशेष सत्र बुलाने पर एलजी ने जताई आपत्ति

उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली विधानसभा का एक दिवसीय सत्र बुलाने में दिल्ली सरकार की ओर से गंभीर प्रक्रियात्मक चूक की ओर इशारा किया गया है। उनके अनुसार विधानसभा के अध्यक्ष ने विधानसभा के चौथे सत्र के दूसरे भाग को बुलाने का प्रस्ताव दिया है, जबकि दिल्ली मंत्रिमंडल ने दिल्ली विधानसभा का एक दिवसीय सत्र बुलाने की सिफारिश की है

नियमों और अधिनियम के अनुसार, गत 29 मार्च को सदन अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। पहले सत्रावसान किया जाना चाहिए ताकि एक नया सत्र बुलाया जा सके। किसी सत्र का सत्रावसान न होने पर भी नया सत्र आहूत नहीं किया जा सकता।

उपराज्यपाल के अनुसार दिल्ली कैबिनेट और विधानसभा मौजूदा कानून के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं, जिसे मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी लाया गया है। एलजी की आपत्ति यह भी है कि दिल्ली कैबिनेट द्वारा बिना किसी निर्दिष्ट विधायी कार्य व उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना ही एक दिवसीय विशेष सत्र की सिफारिश की गई है।

दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मैं एलजी साहब को नियम की स्थिति से अवगत कराना चाहता हूं। दिल्ली विधानसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के नियम 17 के तहत विधानसभा अध्यक्ष के पास “सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित किए जाने के बाद किसी भी समय” सदन की बैठक बुलाने की शक्ति है। हालांकि प्रचलित संसदीय प्रथा के अनुसार अध्यक्ष केवल मंत्रिमंडल की सिफारिश पर ही बुलाते हैं। सदन का सत्रावसान नहीं किया गया है और सत्रावसान केवल मंत्रिमंडल की सिफारिश पर ही किया जा सकता है। चूंकि सत्रावसान के लिए कैबिनेट की कोई सिफारिश नहीं थी, इसलिए स्पीकर ने नियम 17(2) के तहत सदन को बुलाना सही समझा।

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