अपने सदाबहार दोस्त चीन को खुश करने के लिए पाकिस्तान ने अमेरिका का न्योता ठुकरा दिया है। पाकिस्तान बुधवार से शुरू हो रहे ऑनलाइन ‘लोकतंत्र सम्मेलन’ में हिस्सा नहीं लेगा। पाकिस्तान की तरफ से कहा गया है कि वह अमेरिका के साथ द्विपक्षीय स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए काम करेगा लेकिन इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा। इस सम्मेलन का नाम है ‘ग्लोबल डेक्लेरेशन ऑफ मेयर्स ऑफ डेमोक्रेसी।’
बता दें कि इस सम्मेलन में चीन और तुर्की दोनों ही देशों को आमंत्रित नहीं किया गया है। इसीलिए अपने सदाबहार दोस्त को नाराज करने से अच्छा पाकिस्तान ने यही सोचा कि वह इससे अलग हो जाए। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, इस सम्मेलन का प्रक्रिया काफी आगे बढ़ चुकी है। इसलिए पाकिस्तान इसमें ना शामिल होते हुए भी अमेरिका के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाने, मानवाधिकार की रक्षा और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने की दिशा में आगे बढ़ेगा। पाकिस्तान ने न्योता देने के लिए अमेरिका को शुक्रिया भी कहा।
पाकिस्तान की तरफ से कहा गया, हम अमेरिका के साथ अपने रिश्ते लगातार मजबूत करना चाहते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान पर सम्मेलन से अलग होने के दबाव बनाया। बात यह है कि चीन तुर्की के साथ भी अच्छे संबंध रखता है। तुर्की के जरिए ही वह मुस्लिम देशों पर पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा है। इसी बीच जब अमेरिका ने चीन तुर्की दोनों को ही सम्मेलन से बाहर रखा तो पाकिस्तान को मजबूरन उनका साथ देना पड़ा।
बता दें कि यह शिखऱ सम्मलेन पहली बार 2021 में हुआ था। उस वक्त भारत और पाकिस्तान दोनों ने ही इसमें हिस्सा लिया था। इस बार भारत शामिल होगा लेकिन पाकिस्तान ने किनारा कस लिया है। पाकिस्तान आगे कुआं पीछे खाईं जैसी स्थिति में फंसा हुआ है। संकट के समय में चीन ने उसे बड़ी आर्थिक मदद दी है ऐसे में वह उसे नाराज नहीं कर सकता। दूसरी तरफ उसे अमेरिका की भी जरूरत है। आईएमएफ से बेलाआउट पैकेज की डील फाइनल करने के लिए वह चाहता है कि अमेरिका मदद करे। ऐसे में वह किसी तरह अमेरिका को समझाने की कोशिश कर रहा है कि इस सम्मेलन में ना शामिल होकर भी वह अमेरिका से रिश्ते मजबूत करना चाहता है।