जानिए भारत गगनयान से कैसे अमेरिका-रूस-चीन की बराबरी करेगा?

जानिए भारत गगनयान से कैसे अमेरिका-रूस-चीन की बराबरी करेगा?

गगनयान देश का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है जिसके तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष की सैर कराई जाएगी। मिशन सफल होता है, तो भारत, रूस, चीन और अमेरिका जैसे देशों वाली एक खास सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने खुद चालक दल अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) लगातार अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी शक्ति बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में शनिवार को एजेंसी ने गगनयान के पहले टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया।

हाल के दिनों में चंद्रयान-3 की चन्द्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग दुनियाभर में चर्चा का विषय रहे। अब इसरो की नजर गगनयान मिशन पर है जिसके तहत तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा।

ऐसे में हमें जानना चाहिए कि गगनयान मिशन है क्या? मिशन में अभी क्या हुआ है? गगनयान के पहले टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 की अहमियत क्या है? अब आगे क्या होगा?

पहले जानते हैं कि गगनयान मिशन क्या है? 
गगनयान देश का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है जिसके तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष की सैर कराई जाएगी। इस मिशन को अगले साल के आखिर या 2025 की शुरुआत तक भेजा जा सकता है। 2024 में मानव रहित परीक्षण उड़ान होगी, जिसमें एक व्योममित्र रोबोट भेजा जाएगा।

गगनयान मिशन का उद्देश्य तीन दिवसीय गगनयान मिशन के लिए 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा पर मानव को अंतरिक्ष में भेजना और उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाना है।

मिशन में अभी क्या हुआ है?
इसरो ने शनिवार को गगनयान के तहत इसके पहले टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया। इस उद्देश्य में इस्तेमाल होने वाले परीक्षण वाहन ‘क्रू एस्केप मॉड्यूल’ का उपयोग करते हुए यह परीक्षण किया गया। क्रू एस्केप मॉड्यूल लॉन्च के बाद अंतरिक्ष में पहुंचा और फिर सही-सलामत बंगाल की खाड़ी में उतर गया।

इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने गगनयान की पहली सफलता को लेकर कहा, ‘मुझे गगनयान टीवी-डी1 मिशन की सफलता की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है।’ उन्होंने टीवी-डी-1 टेस्ट मिशन: क्रू एस्केप मॉड्यूल की सफल लैंडिंग के बाद वैज्ञानिकों को बधाई दी।

टीवी-डी1 के पहले परीक्षण में देरी क्यों हुई?
गगनयान मिशन के लिए टेस्ट उड़ान टीवी-डी1 को सुबह 8 बजे लॉन्च किया जाना था। हालांकि, लॉन्चिंग से 5 सेकंड पहले टेस्ट को रोक दिया गया। इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने इसका कारण बताते हुए कहा, ‘लिफ्ट-ऑफ का प्रयास नहीं हो सका…व्हीकल सुरक्षित है… हम जल्द ही वापस लौटेंगे… जो कंप्यूटर काम कर रहा है उसने लॉन्च रोक दिया है… हम इसे ठीक करेंगे और जल्द ही लॉन्च शेड्यूल करेंगे।’ हालांकि, गगनयान की टेस्ट फ्लाइट सुबह 10 बजे सफलतापूर्वक लॉन्च कर दी गई।

टीवी-डी-1 टेस्ट मिशन की अहमियत क्या है?
2025 में जब भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान के तहत अंतरिक्ष यात्री धरती से 400 किमी ऊपर अंतरिक्ष में तीन दिन बिताने जाएंगे, तब किसी भी वजह से अंतरिक्ष यात्रियों को नहीं खोना पड़े, इसके लिए कुल छह परीक्षण की शृंखला में यह पहला परीक्षण है। इसरो के इस परीक्षण से क्रू इस्केप सिस्टम (सीईएस) की क्षमता और दक्षता के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी। इसके अलावा किसी आपात परिस्थिति में अभियान को बीच में ही रद्द किए जाने पर अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बचाने की रणनीति को फेल-सेफ बनाने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रीय अंतरिक्ष इसरो के मुताबिक, फ्लाइट टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन1 में किसी अनहोनी की दशा में अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने में यह क्रू-एस्केप प्रणाली काम आएगी। उड़ान भरते समय अगर मिशन में गड़बड़ी हुई तो यह प्रणाली क्रू मॉड्यूल के साथ यान से अलग हो जाएगी, कुछ समय उड़ेगी और श्रीहरिकोटा से 10 किमी दूर समुद्र में उतरेगी। इसमें मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को नौसेना की ओर से समुद्र से सुरक्षित वापस लाया जाएगा।

परीक्षण का रूसी मिशन से है कनेक्शन 
दरअसल, रूसी मिशन सोयुज एमएस-10 मिशन को 11 अक्तूबर 2018 को लॉन्च किया गया था। इस मिशन में रूसी एजेंसी रोस्कोस्मोस ने अपने सदस्य अलेक्सेय ओवचिनीन और नासा ने अपने सदस्य निक हेग को भेजा था। टेक-ऑफ के बाद मिशन कंट्रोल ने घोषणा की कि एक बूस्टर फेल हो गया। 35 वर्षों में पहली बार हुआ जब कोई रूसी बूस्टर असफल हुआ लेकिन क्रू लॉन्च एस्केप सिस्टम की वजह से क्रू बचने में सफल रहे। लॉन्चिंग के बाद क्रू कैप्सूल को लॉन्च व्हीकल से अलग कर लिया गया था।

यही कारण है कि इसरो ने रूस के अनुभव से सीख ली है कि मानव मिशन में क्रू की सुरक्षा सर्वोपरी होनी चाहिए।

मिशन में अब आगे क्या है?
गगनयान मिशन को कई चरणों के जरिए सफलता के अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। इसरो ने बताया कि गगनयान में क्रू एस्केप सिस्टम (सीईएस) सबसे खास है। परीक्षण वाहन टीवी-डी1 का प्रक्षेपण गगनयान कार्यक्रम के चार मिशनों में से पहला है। इसके बाद दूसरा परीक्षण वाहन टीवी-डी2 मिशन और गगनयान (एलवीएम3-जी1) का पहला मानव रहित मिशन होगा।

परीक्षण वाहन मिशन (टीवी-डी3 और डी4) की दूसरी श्रृंखला और रोबोटिक पेलोड के साथ एलवीएम3-जी2 मिशन की अगली योजना बनाई गई है। एजेंसी ने कहा कि चालक दल मिशन की योजना सफल परीक्षण वाहन के नतीजे और उन मिशनों के आधार पर बनाई गई है जिनमें कोई चालक दल नहीं है।

खास सूची में शामिल हो जाएगा भारत
गगनयान मिशन सफल होता है, तो भारत उन देशों की एक खास सूची में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने खुद चालक दल अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है। वर्तमान में ऐसा मुकाम हासिल करने वाले देश केवल अमेरिका, रूस और चीन ही हैं।
भारत और भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री 
कैप्टन राकेश शर्मा अंतरिक्ष मे जाने वाले भारत के पहले व्यक्ति हैं। 1984 में इसरो और रूस के इंटरकस्मिक कार्यक्रम के एक संयुक्त अंतरिक्ष अभियान के अंतर्गत राकेश शर्मा आठ दिन तक अंतरिक्ष में रहे। राकेश उस समय भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर और विमानचालक थे।

वहीं कल्पना चावला अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जरिए अंतरिक्ष जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला थीं। उनके अलावा सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष जाने वाली दूसरी भारतवंशी महिला हैं।

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