प्रयागराज। पांच मई शुक्रवार को साल का पहला चंद्रग्रहण के आज संगम नगरी प्रयागराज में बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. चंद्रग्रहण के बाद सुबह से ही लोग गंगा घाटों पर पहुंचने लगे और डुबकी लगाकर स्नान किया. प्रयागराज के संगम घाट पर भी ऐसा ही नजारा दिखाई दिया. ग्रहण के बाद श्रद्धालुओं ने संगम घाट पर डुबकी लगाई और उगते हुए सूर्य देवता की पूजा अर्चना कर प्रार्थना की.
शुक्रवार को बुद्ध पूर्णिमा के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण समाप्त हो गया. पांच महाद्वीपों पर करोड़ों लोगों ने इस दुर्लभ चंद्रग्रहण का नजारा देखा. हालांकि भारत में ये चंद्र ग्रहण नहीं देखा गया लेकिन यहां चंद्रमा हल्का धुंधला सा जरूर दिखाई दिया. यह चंद्र ग्रहण एशिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्वी यूरोप के कुछ हिस्सों में देखा गया.
28 अक्टूबर को दूसरा चंद्र ग्रहण
ये चंद्र ग्रहण 5 मई की रात 8 बजकर 46 मिनट पर शुरू हुआ और मध्यरात्रि 1 बजकर 2 मिनट पर समाप्त हुआ. इस तरह ये चंद्र ग्रहण करीब 4 घंटे 15 मिनट तक रहा. साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को लगने वाला है. वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जिसे देखना चाहिए लेकिन वैज्ञानिक महत्व के साथ-साथ चंद्र ग्रहण की अध्यात्मिक, पौराणिक और धार्मिक मान्यताएं भी हैं. धार्मिक मान्यताओं में चंद्र ग्रहण की घटना को शुभ नहीं माना जाता है. इसके मुताबिक चंद्र ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव लोगों के मन-मस्तिष्क पर पड़ता है. इस दौरान लोगों को विशेष सावधानी बरतने को कहा जाता है. इस समय कुछ भी खाने-पीने से बचना चाहिए.
खत्म होता है ग्रहण का प्रभाव
चंद्र ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए. ऐसा माना जाता है चंद्र ग्रहण के बाद स्नान करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है. चंद्र ग्रहण का नेगेटिव प्रभाव भी दूर होता है. ग्रहण के बाद पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए और नहाने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए. इसी वजह से हिन्दू धर्म में ग्रहण के बाद पवित्र नदियों में स्नान की भी परंपरा है.