गंगा पुष्कर कुंभ के अन्तिम दिन दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई डुबकी

गंगा पुष्कर कुंभ के अन्तिम दिन दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई डुबकी

वाराणसी। गंगा पुष्कर कुंभ (पुष्करलु ) के अन्तिम दिन बुधवार को दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगाई और पूजा अर्चना के बाद पूर्वजों का तर्पण किया। स्नान के लिए केदारघाट, मानसरोवर घाट,शंकराचार्य और चौकीघाट पर अलसुबह से भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही। गंगा पुष्कर कुंभ में 22 अप्रैल से तीन मई के बीच उत्तरवाहिनी गंगा का किनारा उत्तर और दक्षिण की संस्कृति के मिलन का साक्षी बना। कुंभ में आए दक्षिण भारत के लाखों श्रद्धालु पूजा अर्चना, पूर्वजों का तर्पण, स्मृति लिंग स्थापित करने और पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने में लीन रहे।
दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं के चलते गंगातट पर मेले जैसा नजारा रहा। 12 दिवसीय पुष्करलु में लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, बाबा काल भैरव, बिंदुमाधव, मां विशालाक्षी, दुर्गाकुंड, संकटमोचन समेत शहर के प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन किया। तीर्थ पुरोहितों के अनुसार देवगुरू बृहस्पति के मेष राशि में प्रवेश करने पर हरिद्वार, प्रयाग एवं काशी में गंगा किनारे, वृषभ राशि में प्रवेश करने पर अमरकंटक में नर्मदा के किनारे, मिथुन में बदरीतीर्थ का भीमपुरी और सोमनाथ के निकट प्रभास तीर्थ में, सिंह राशि में प्रवेश पर नासिक, कन्या राशि में प्रवेश करने पर श्रीशैलम, तुला में प्रवेश करने पर श्रीरंगपट्टणम में कावेरी के किनारे, वृश्चिक में प्रवेश पर पंडरीपुर में भीमा नदी के तट पर, मकर में प्रवेश करने पर मंत्रालयम में तुंगभद्रा नदी के तट पर, कुंभ में लेह के पास सिंधु नदी तथा मीन राशि में प्रवेश करने पर तेलंगाना की प्रणीता नदी के किनारे पुष्करालु होता है।
इसके पूर्व वर्ष 2011 में गंगा पुष्कर कुंभ में श्रद्धालु ने गंगा में डुबकी लगाई थी। मान्यता है कि पुष्कर नाम के एक भक्त ने भगवान शिव से पवित्र नदियों को शुद्ध करने का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने 12 पवित्र नदियों में प्रवेश किया। इन नदियों में गंगा, नर्मदा, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, भीमा, ताप्ती, तुंगभद्रा, सिंधु और प्राणिता हैं। खास बात यह रही कि गंगा पुष्कर कुंभ में आए दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं से 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी वर्चुअल संवाद किया था। इस दौरान प्रधानमंत्री ने बनारस का सांसद होने के चलते श्रद्धालुओं का गर्मजोशी से स्वागत किया था। गंगा पुष्कर कुंभ में व्यस्तता के चलते न आने पर खेद भी जताया था।

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