केजीएमयू में बताया गया आँख का कैंसर के मरीजों में इलाज के बाद पुनर्वास का महत्व

केजीएमयू में बताया गया आँख का कैंसर के मरीजों में इलाज के बाद पुनर्वास का महत्व

लखनऊ। जनमानस में जागरूकता हेतु नेत्र विभाग ओपीडी तृतीय तल केजीएमयू लखनऊ में कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ) बिपिन पुरी जी के निर्देशानुसार कैंसर से संबंधित जानकारी कार्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध कराई गई। इस कार्यक्रम में नेत्र विभाग के सभी संकाय सदस्य, रेजिडेंस, व कर्मचारी भी सम्मिलित हुए। प्रोफेसर डॉ. अपजीत कौर विभागाध्यक्ष नेत्र विभाग ने उपस्थित सभी लोगों को बताया कि रेटिनोब्लस्टोमा (आँख का कैंसर) के मरीजों में इलाज के उपरांत पुनर्वास का क्या महत्व है।

सैकड़ों बच्चों को दिला चुकें हैं रेटिनोब्लस्टोमा से निजात

डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि केजीएमयू, नेत्र विभाग, कैंसर के क्षेत्र में पिछले दो दशकों से अग्रणी रहा है और लगभग 250 रेटिनोब्लस्टोमा (आँख का कैंसर) से ज्यादा बच्चे इस आँख कैंसर रोग से निजात दिला चुका है। उन्होंने बताया कि रेटिनोब्लास्टोमा 5 साल से कम उम्र के बच्चों के आंख के पर्दे में होने वाला कैंसर को कहते है जिसकी पहचान जल्दी होने से ही इसका इलाज की सफलता निश्चित होती है। बाल रोग विभाग के डॉ निशांत वर्मा ने बताया कैंसर के शुरुआती लक्षण में यदि 5 साल से छोटे बच्चों में यदि आंख में भैंगापन हो या आंख की पुतली में सफेद चमक दिखाई दे तो यह रेटिनोब्लास्टोमा (आँख का कैंसर) के प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। ऐसे में नेत्र विशेषज्ञ से राय लेना बेहद जरूरी है! कैंसर की बीमारी बढ़ जाने पर रोगी की जान जाने की अत्यधिक संभावना होती है। अतः इन लक्षणों से साधारण जनमानस को अवगत कराने के लिए साल में एक बार रेटिनोब्लास्टोमा सप्ताह मई के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है।

आंख में विकृत होने कृतिम आंख से सुधारा जाता है

डॉक्टर रघुवर दयाल सिंह, प्रौस्थोडॉन्टिक्स विभाग ने जानकारी दी कि इलाज के उपरांत कैंसर खत्म होने के बाद आंख में विकृति होने पर कृतिम आंख से सुधारा जाता है। यह कृतिम आंख केजीएमयू में कैंसर पीड़ित रोगियों को उत्कृष्ट आँख की सुविधा निशुल्क प्रदान की जाती है। इसमें रोगियों को माप एवं कृतिम आंख की जांच के लिए मात्र तीन बार ही आना पड़ता है। कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एस एन शंखवार, प्रोफेसर डॉ. अपजीत कौर विभागाध्यक्ष नेत्र विभाग डॉक्टर रघुवर दयाल सिंह, प्रौस्थोडॉन्टिक्स विभाग, बाल रोग विभाग के डॉ निशांत वर्मा, डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता, डॉ कीर्ती श्रीवास्तव, डॉ रजत मोहन श्रीवास्तव, नेत्र विभाग के कर्मचारी, कैंनकिड्स संस्था के कर्मचारी एवं वर्षा फाउंडेशन के लोग शामिल रहे।

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