केजीएमयू में पालना की शुरुआत, क्वीन मेरी अस्पताल में लगाया गया

केजीएमयू में पालना की शुरुआत, क्वीन मेरी अस्पताल में लगाया गया

लखनऊ। नवजात शिशुओं के जीवनरक्षा के लिए अब लखनऊ में भी अहम पहल की शुरुआत हुई है। केजीएमयू के क्वीन मेरी अस्पताल में सेंसरयुक्त पालना लगाया गया है। बुधवार को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इसका लोकार्पण करते हुए शुरुआत की। पालना सेंसर से लैस होंगे। अनचाहे बच्चों को फेंकने की जगह इसमें छोड़ सकेंगे। छोड़ने के एक मिनट बाद घंटी बजेगी, जो निर्धारित स्थल पर ही सुनाई देगी। जो भी व्यक्ति बच्चे को पालने में रखता हैं उसकी पहचान गुप्त रखी जाएगी। उसे टोका नहीं जाएगा। बच्चे को प्राथमिक उपचार देने या उसके स्वस्थ होने के बाद उसे राजकीय शिशु गृह भेजा जाएगा। राजस्थान के उदयपुर के महेशाश्रम, मां भगवती विकास संस्थान के संस्थापक संचालक योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल की मुहिम से इस पहल की शुरुआत हुई है। मंगलवार को भूमि पूजन के मौके पर वे मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि फेंके जाने वाले बच्चों में ज्यादातर बेटियां होती हैं। वे डस्टबिन, कंटीली झाड़ियों, तालाब आदि में फेंक दी जाती हैं या उन्हें बस या रेलवे स्टेशन पर दिया जाता है। उन्हें भिक्षावृत्ति या वेश्यावृत्ति के दलदल में ढकेल दिया जाता है। ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए यह पहल की गई है। देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि नवजात शिशुओं की रक्षा के लिए पालना स्थल जिलों में शुरू होंगे। लखनऊ, गोरखपुर प्रयागराज, आगरा, मेरठ, झांसी और कानपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेजों के महिला चिकित्सालयों में इसे शुरू करने की अनुमति प्रदेश सरकार द्वारा दी गई है।

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