ओला, उबर जैसे कैब और टूरिस्ट ट्रांसपोर्ट वाहन एक्सप्रेस वे तथा हाईवे में अब और तेज रफ्तार से चल सकेंगे…

ओला, उबर जैसे कैब और टूरिस्ट ट्रांसपोर्ट वाहन एक्सप्रेस वे तथा हाईवे में अब और तेज रफ्तार से चल सकेंगे…

ओला, उबर जैसे कैब और टूरिस्ट ट्रांसपोर्ट वाहन एक्सप्रेस वे तथा हाईवे में अब और तेज रफ्तार से चल सकेंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से विभिन्न सड़कों पर अधिकतम स्पीड लिमिट को लेकर कई अहम सिफारिशें की हैं। ट्रांसपोर्ट वाहनों के लिए स्पीड लिमिट बढ़ाकर कई वर्षों से चली आ रही विसंगित दूर करने का काम किया गया है।

सौ और 90 किलोमीटर प्रतिघंटा कर दिया गया

अभी तक एम वन श्रेणी के इन वाहनों के लिए एक्सप्रेस वे और हाईवे में अधिकतम गति सीमा 80 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित थी, लेकिन इसे बढ़ाकर अब क्रमश: सौ और 90 किलोमीटर प्रतिघंटा कर दिया गया है। निजी वाहनों के लिए यह सीमा क्रमश: 120 तथा 100 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी।

सूत्रों के अनुसार समिति की ये सिफारिशें केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से सोमवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में आयोजित राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों के परिवहन मंत्रियों तथा अधिकारियों के सम्मेलन में रखी गईं। इन पर राज्य अब अपने-अपने हिसाब से फैसले लेंगे। सूत्रों के अनुसार समिति ने एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेस वे को तीन श्रेणियों में बांटा है-आठ, छह और चार लेन।

अन्य हाईवे को दो श्रेणियों में रखा गया-टू लेन रोड तथा पहाड़ी इलाकों के राजमार्ग। रात लगभग नौ बजे तक चली बैठक में गोवा और पंजाब जैसे राज्यों ने गति सीमा को और बढ़ाने का सुझाव दिया है, जबकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने अपनी भौगोलिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसे और सीमित करने का सुझाव दिया।

दो तरह की स्पीड लिमिट की सिफारिश की गई

समिति ने मोटर साइकिल के लिए चार लेन तथा उससे अधिक के हाईवे पर 80 तथा शेष सभी सड़कों (म्युनिसिपल सीमा तथा अन्य सड़कें) के लिए 60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार की सिफारिश की है। मोटर साइकिल ट्रांसपोर्ट के लिए भी यही सीमा रहेगी, जबकि तिपहिया वाहनों के लिए चार लेन या अधिक के हाईवे समेत सभी तरह की सड़कों के लिए 50 किलोमीटर की सीमा तय की गई है।

समिति ने एक अन्य अहम सिफारिश में स्कूल बसों को एम टू तथा एम थ्री के तहत एक अलग श्रेणी में रखा है। इनके लिए दो तरह की स्पीड लिमिट की सिफारिश की गई है। सभी श्रेणी के हाईवे तथा सड़कों के लिए साठ किलोमीटर प्रति घंटा तथा पहाड़ी और दुर्गम इलाकों के लिए पचास किमी प्रति घंटा।

टैंकर, डंपर, ट्रैक्टर ट्रेलर के लिए 60 की रफ्तार तयटैंकर, डंपर, खतरनाक सामग्री ढोने वाले वाहनों और ट्रैक्टर ट्रेलर के लिए हाईवे समेत सभी तरह की सड़कों के लिए अधिकतम साठ किमी की रफ्तार तय की गई है। एक अधिकारी के अनुसार सड़क परिवहन मंत्रालय ने लगभग पांच साल बाद स्पीड लिमिट को लेकर अपनी सिफारिशें राज्यों के साथ साझा की हैं।

सड़क दुर्घटनाओं का सिलसिला चिंताजनक

मंत्रालय का मानना है कि इसकी वजह यह है कि पिछले कुछ वर्षों में सड़कों का ढांचा बेहतर हुआ है और वाहनों की इंजीनियरिंग में भी गुणात्मक सुधार हुआ है। वाहनों में सेफ्टी फीचर भी बढ़े हैं।

हालांकि इन सबके बावजूद सड़क दुर्घटनाओं का सिलसिला चिंताजनक तरीके से कायम है और यह कहा जाता है कि 70 प्रतिशत से अधिक हादसे ओवरस्पीडिंग की देन हैं। सम्मेलन में स्पीड लिमिट के साथ ही इलेक्टि्रक वाहनों की फाइनेंसिंग का नया माडल भी राज्यों को प्रस्तावित किया गया है।

राज्यों को शून्य खर्च पर परिवहन निगमों के लिए बसों की खरीद का प्रस्ताव दिया गया है। इसके अतिरिक्त वाहनों की फिटनेस टेस्टिंग के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी चर्चा हुई। केंद्र सरकार ने लाइसेंस जारी करने में राज्यों में गड़बड़ी पर भी चिंता जताई है और इसमें सुधार के लिए उन्हें एक रोडमैप दिया गया है।

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