राजधानी में गर्मी के दौरान बिजली की मांग 8100 मेगावाट तक पहुंच सकती है। इसको लेकर ऊर्जा मंत्री आतिशी ने मंगलवार को बिजली कंपनियों व अधिकारियों के साथ तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक की। आतिशी ने कहा, हमें जीरो पावर कट नीति के तहत 24 घंटे बिजली की आपूर्ति करनी है।
ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल बिजली की अधिकतम मांग 7695 मेगावाट तक पहुंच गई थी। इस बार गर्मी में यह मांग 8100 मेगावाट तक पहुंच सकती है। इसे लेकर बिजली कंपनियों ने पूरी तैयारी कर रखी है। ऊर्जा मंत्री ने बिजली आपूर्ति कंपनियों से कहा कि वह मांग को देखते हुए अतिरिक्त आपूर्ति के समझौते करके रखें। इसके अलावा ऊर्जा मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि समय से पहले तैयारी होनी चाहिए।
हरित ऊर्जा पर जोर दिल्ली में इस बार बिजली की मांग पूरी करने के लिए कंपनियों ने हरित ऊर्जा को लेकर कई नए समझौते किए हैं। कंपनियों का दावा है कि इस बार बढ़ी हुई बिजली की मांग की आपूर्ति हरित ऊर्जा से करेंगे। सबसे अधिक बिजली उपभोक्ता वाली बिजली कंपनी बीएसईएस ने इस बार 1500 मेगावाट हरित ऊर्जा की व्यवस्था की है। इसमें सेकी (सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) से मिलने वाली 888 मेगावाट सौर ऊर्जा व 486 मेगावाट पवन ऊर्जा के अलावा कचरे से बनने वाली 40 मेगावाट बिजली शामिल होगी। इसके अतिरिक्त बीएसईएस क्षेत्र में लगे सौर ऊर्जा संयंत्रों से 130 मेगावाट से अधिक बिजली मिलेगी।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि पावर सब-स्टेशनों की रखरखाव समय रहते की जाए और जरूरत पड़ने पर सब-स्टेशन अपग्रेड करें। लाइनों का भी रखरखाव होना चाहिए। इस दौरान कंपनियों ने गर्मी के दौरान बिजली की निर्बाध आपूर्ति के लिए किए गए समझौते व कार्ययोजना पेश की।
कांग्रेस ने उठाई यह मांग…
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि बिजली सब्सिडी को कंपनियों को देने के बजाय सीधे उपभोक्ताओं के खाते में दी जाए। उन्होंने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा बिजली सब्सिडी देने को हर नए तरीके से पेश करके दिल्ली की जनता को गुमराह किया जा रहा है। बिजली सब्सिडी उपभोक्ताओं के खाते में डालने की उप राज्यपाल की पेशकश को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस कई वर्षों से इसकी मांग करती आ रही है। दिल्ली सरकार द्वारा ऐसा नहीं करके बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।