मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों को राज्यभर में विशेष सत्यापन अभियान शुरू करने के निर्देश दिए।
उत्तराखंड के कई हिस्सों में लव जिहाद जैसी घटनाएं सामने आने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने शुक्रवार को गृह और पुलिस के वरिष्ठ अफसरों को तलब किया।
उन्होंने अफसरों से अब तक की घटनाओं का ब्योरा लेते हुए ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि देवभूमि में इस तरह के अपराध को कतई सहन नहीं किया जाएगा। इसके बाद दोपहर सचिवालय में मीडिया से बातचीत में धामी ने कहा कि जो इस प्रकार की सुनियोजित व सोची-समझी रणनीति से लव जिहाद बढ़ा रहे थे, उनके खिलाफ लोग अब आगे आ रहे हैं।
जो लोग इस तरह की साजिश का शिकार हुए हैं, खुद उन लोगों ने भी अब अपना प्रतिकार करना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि ये घटनाएं दो-तीन माह के भीतर ज्यादा उजागार हुई हैं, उसके पीछे सरकार के द्वारा लाए गए धर्मांतरण कानून है। इस कानून के बाद लोगों में तेजी से जागरूकता आई है, आंकड़े भी यह बता रहे हैं।
आगे इस प्रकार की घटनाएं न हो इसके लिए प्रशासन व पुलिस संयुक्त रूप से सत्यापन अभियान चलाएगी। आखिर ये कौन लोग हैं ? कहां से आए हैं, और इनका क्या इतिहास रहा है, यह सब सत्यापन के बाद पता चल सके। इसी के आधार पर तय होगा कि अब ऐसे लोग उत्तराखंड में रह पाएंगे या नहीं।
पहाड़ में सामने आ चुकी हैं तीन घटनाएं: लव जिहाद को लेकर शांतप्रिय पर्वतीय क्षेत्रों में अब तक तीन घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं। इसके विरोध में उत्तरकाशी और चमोली जिले में व्यापारियों के साथ ही लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ा। पहले मामला 26 मई को पुरोला में सामने आया, जहां नाबालिग युवती को भगा लिया गया। इसके बाद छह जून को गौचर (चमोली) और फिर आठ जून को आराकोट (मोरी) में इस तरह की आपराधिक घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं।
उत्तराखंड में सभी लोग भाईचारे से रहते हैं। एक-दूसरे के साथ मेल-मिलाप से रहते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि इस प्रकार की गतिविधियां करें। इसे कदापि स्वीकार नहीं किया जाएगा।