इन मंत्रों के जाप से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है और साथ ही मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होगी..

 इन मंत्रों के जाप से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है और साथ ही मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होगी..

हिन्दू पंचांग के अनुसार 29 मई को महेश नवमी है। यह हर वर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सृष्टि के रचियता भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि महेश नवमी का व्रत करने से विवाहितों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहितों की शीघ्र शादी के योग बनते हैं। अतः साधक भगवान शिव की श्रद्धा पूर्वक पूजा उपासना करते हैं। अगर आप भी भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो महेश नवमी के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। साथ ही मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होती है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,

भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,

तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥

मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,

नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।

मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,

तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,

सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।

श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,

तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,

मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,

तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥

यक्षस्वरूपाय जटाधराय,

पिनाकहस्ताय सनातनाय ।

दिव्याय देवाय दिगम्बराय,

तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।

उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम् ॥१॥

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम् ।

सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥२॥

वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे ।

हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये ॥३॥

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः ।

सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥४॥

शिवमङ्गलाष्टकम्

भवाय चन्द्रचूडाय निर्गुणाय गुणात्मने ।

कालकालाय रुद्राय नीलग्रीवाय मङ्गलम् ॥ १ ॥

वृषारूढाय भीमाय व्याघ्रचर्माम्बराय च ।

पशूनां पतये तुभ्यं गौरीकान्ताय मङ्गलम् ॥ २ ॥

भस्मोद्धूलितदेहाय व्यालयज्ञोपवीतिने ।

रुद्राक्षमालाभूषाय व्योमकेशाय मङ्गलम् ॥ ३

सूर्यचन्द्राग्निनेत्राय नमः कैलासवासिने ।

सच्चिदानन्दरूपाय प्रमथेशाय मङ्गलम् ॥ ४ ॥

मृत्युंजयाय सांबाय सृष्टिस्थित्यन्तकारिणे ।

त्र्यंबकाय सुशान्ताय त्रिलोकेशाय मङ्गलम् ॥ ५ ॥

गंगाधराय सोमाय नमो हरिहरात्मने ।

उग्राय त्रिपुरघ्नाय वामदेवाय मङ्गलम् ॥ ६ ॥

सद्योजाताय शर्वाय दिव्यज्ञानप्रदायिने ।

ईशानाय नमस्तुभ्यं पञ्चवक्त्राय मङ्गलम् ॥ ७ ॥

सदाशिवस्वरूपाय नमस्तत्पुरुषाय च ।

अघोरायच घोराय महादेवाय मङ्गलम् ॥ ८ ॥

मङ्गलाष्टकमेतद्वै शंभोर्यः कीर्तयेद्दिने ।

तस्य मृत्युभयं नास्ति रोगपीडाभयं तथा ॥ ९ ॥

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