घर का मंदिर घर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस जगह आप ईश्वर से जुड़ते हैं और प्रार्थना करते हैं। इसलिए इस जगह का वास्तु बिल्कुल सही होना चाहिए। इसमें मंदिर की दिशा, पूजा करते समय मंदिर की दिशा, मंदिर में मूर्ति कितनी और कौन सी होना चाहिए। उन्हें किस जगह रखना चाहिए, यह सब अच्छे से पता होना चाहिए। घर के मंदिर में किस प्रकार की मूर्ति होनी चाहिए, इसके बारे में कई लोग मनमर्जी के नियम से काम करते हैं। आचार्य मुकुल रस्तोगी के अनुसार घर के मंदिर को लेकर वास्तु के स्पष्ट नियम हैं, घर के मंदिर में मूर्ति 08 या 09 इंच से ज्यादा की नहीं होनी चाहिए। एक देवी या देवता की एक ही मूर्ति होनी चाहिए। एक से अधिक नहीं होनी चाहिए।
मूर्ति मिट्टी, चांदी अथवा पीतल की होनी चाहिए। रेसिन अथवा अन्य किसी धातु की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए।
देवी-देवताओं की जो भी मूर्ति अथवा चित्र रखें, वह प्रसन्न मुद्रा में हो। रौद्र अथवा गुस्से वाली मुद्रा नहीं होनी चाहिए।
पूजा के लिए उत्तर-पूर्व दिशा सबसे अच्छी है, पूजा करते समय आपका मूंह भी पूर्व दिशा में होना चाहिए।
आपका मंदिर आपके बॉथरूम के पास नहीं होना चाहिए
मूर्तियों को एक दूसरे के सामने नहीं रखना चाहिए, इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मंदिर सीढ़ी के नीचे नहीं होना चाहिए
घर में लकड़ी का मंदिर अच्छा माना जाता है, लेकिन मार्बल का मंदिर भी अच्छा माना जाता है। इस बात का ध्यान रखें कि मंदिर को कभी भी जमीन पर नीचे न रखें।