हिंदू पंचांग के अनुसार, आज चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है यानी आज चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन है। शास्त्रों के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की उपासना की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि देवी की उपासना करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। बता दें कि देवी स्कंदमाता सिंह की सवारी करती हैं और उनकी चार भुजाएं हैं। देवी स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं। आज के दिन वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर देवी की उपासना करने से साधक के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। आइए पढ़ते हैं देवी स्कंदमाता के मंत्र, ध्यान मंत्र और आरती।
देवी स्कंदमाता मंत्र
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः ।।
देवी स्कंदमाता प्रार्थना
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
देवी स्कंदमाता स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
देवी स्कंदमाता आरती
जय तेरी हो स्कन्द माता। पांचवां नाम तुम्हारा आता।।
सबके मन की जानन हारी। जग जननी सबकी महतारी।।
तेरी जोत जलाता रहूं मैं। हरदम तुझे ध्याता रहूं मै।।
कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा।।
कही पहाड़ों पर है डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा।।
हर मन्दिर में तेरे नजारे। गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।।
इन्द्र आदि देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे।।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए। तू ही खण्ड हाथ उठाए।।
दासों को सदा बचाने आयी। भक्त की आस पुजाने आयी।।
देवी स्कंदमाता ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्।।
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पञ्चम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्।।
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल धारिणीम्।।
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां चारू त्रिवली नितम्बनीम्।।