ब्रिटेन में महाराजा चार्ल्स तृतीय (74) का बीते दिन पूरी परंपरा और भव्यता से राज्याभिषेक हुआ। 70 साल बाद एक बार फिर निभाई गई इस शाही परंपरा के गवाह देश-विदेश से आए दो हजार अतिथि बने, करोड़ों लोगों ने टेलीविजन पर समारोह का सजीव प्रसारण देखा। इससे पहले 1953 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का राज्याभिषेक हुआ था। इस राज्याभिषेक से जुड़ीं 10 बड़ी बातें पढ़ें…
- किंग चार्ल्स III के राज्याभिषेक के साथ सन 1937 के बाद ब्रिटिश राजा का पहला राज्याभिषेक है। चार्ल्स की मां महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद उन्हें सम्राट बनाया गया था।
- चार्ल्स III को शनिवार को यूनाइटेड किंगडम और 14 अन्य राष्ट्रमंडल देशों के सम्राट के तौर पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के उत्तराधिकारी के रूप में ताज पहनाया गया।
- शाही गिरजाघर वेस्टमिंस्टर एबे में आयोजित समारोह में कैंटरबरी के आर्चबिशप ने महाराजा चार्ल्स तृतीय को 360 वर्ष पुराना सेंट एडवर्ड का ठोस सोने का बना मुकुट पहनाया।
- समारोह में महाराजा की पत्नी कैमिला का भी महारानी के रूप में औपचारिक अभिषेक हुआ। इस दौरान उन्हें महारानी मैरी का मुकुट पहनाया गया।
- समारोह में गाए जा रहे गास्पेल काइर (ईसाई धर्म का समूह गान) के बीच टावर आफ लंदन से महाराजा को तोपों की सलामी दी गई। इसी तरह की तोपों की सलामी जिब्राल्टर, बरमूडा और समुद्र में मौजूद कई युद्धपोतों से भी दी गई।
- कार्यक्रम में किंग चार्ल्स के छोटे बेटे प्रिंस हैरी को खास महत्व नहीं दिया गया। राजपरिवार से बाहर हो चुके हैरी मुख्य बालकनी की जगह तीसरी पंक्ति में साधारण की कुर्सी पर बैठे दिखे।
- कार्यक्रम में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और हिंदू धर्म के अनुयायी ऋषि सुनक ने बाइबिल पढ़कर इतिहास रचा। उन्होंने राजा के राज्याभिषेक को ब्रिटिश इतिहास और संस्कृति की एक गौरवपूर्ण अभिव्यक्ति के रूप में वर्णित किया।
- राज्याभिषेक समारोह के दौरान लंदन और कुछ अन्य शहरों में राजशाही के विरोधियों ने प्रदर्शन भी किया और नारेबाजी करते हुए समारोह को सरकारी धन की बर्बादी बताया।
- लंदन में पुलिस ने विरोध प्रदर्शन करने वाले 52 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। उन पर शांति भंग करने और अव्यवस्था फैलाने की धाराएं लगाई गई हैं।
- डेढ़ घंटे से ज्यादा समय तक चले समारोह के बाद महाराजा चार्ल्स और महारानी कैमिला चार हजार किलोग्राम सोने से बनी शाही बग्घी पर सवार होकर अपने निवास बैकिंघम पैलेस गए। इस दौरान 39 देशों के चार हजार सैन्यकर्मी शाही बग्घी के साथ मार्च करते हुए बैकिंघम पैलेस तक गए।