ऐसा बहुत कम होता है कि होलिका दहन दो दिन हो लेकिन इस बार ग्रहीय स्थिति के कारण ऐसा योग बन रहा है। होलिका दहन को लेकर भ्रम की स्थिति है। शहर के कुछ स्थान पर छह मार्च को मध्य रात्रि के बाद होलिका दहन होगा और कुछ जगह सात मार्च को होलिका दहन करेंगे। ऐसी स्थिति में सात से नौ मार्च तक यानी तीन दिन रंग खेला जाएगा।
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार पूर्णिमा तिथि छह मार्च को दोपहर 3 बजकर 57 बजे शुरू हो जाएगी, जो सात मार्च को शाम 5: 40 बजे तक रहेगी। ऐसी स्थिति में पूर्णिमा तिथि रात में ही प्राप्त होगी। शास्त्रत्तें के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में भद्रा नहीं होना चाहिए लेकिन इस साल मृत्युलोक की भद्रा छह मार्च, सोमवार को दिन में 3:57 से शुरू होकर मंगलवार भोर में 4:49 तक व्याप्त रहेगा।
ऐसी स्थिति में होलिका दहन छह मार्च की रात में भद्रा के पुच्छ यानी समाप्त होने की स्थिति के दौरान 12:23 से 1:35 के बीच किया जाएगा। स्नान-दान की पूर्णिमा तिथि सात को है। इस दिन उदयातिथि में भी लोग होलिका दहन करेंगे। इस तरह की स्थितियां बनती हैं तब उसका निर्णय यह होता है कि होलिका दहन में पूर्णिमा का मान अवश्य होना चाहिए।