वैदिक शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक माह के शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा करने से साधक के सभी दुख दूर हो जाते हैं। बता दें कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन गणपति जी की पूजा करने से साधक को धर्म, अर्थ, विद्या, मोक्ष और आरोग्यता की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में भी बताया गया है कि प्रथम देवता गणेश जी की पूजा करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं, कब है वैशाख मास का अंतिम चतुर्थी व्रत, मुहूर्त और पूजा विधि?
वैशाख विनायक चतुर्थी व्रत 2023 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का शुभारंभ 23 अप्रैल को सुबह 07 बजकर 47 मिनट पर होगा और इसका अंत 24 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 24 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में यह व्रत 23 अप्रैल 2023, रविवार के दिन रखा जाएगा। बता दें कि इस विशेष दिन पर शोभन और रवि योग का निर्माण हो रहा है। शोभन योग 23 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 22 मिनट से पूरे दिन रहेगा और रवि योग सुबह 05 बजकर 48 मितं से मध्य रात्रि तक रहेगा।
विनायक चतुर्थी व्रत पूजा विधि
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विनायक चतुर्थी व्रत के दिन साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करना चाहिए और सर्वप्रथम सूर्य को देना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध कर दें।
- ऐसा करने के बाद विनायक चतुर्थी व्रत का संकल्प लें और विधि-विधान से गणपति जी की पूजा करें। पूजा के समय बप्पा को दूर्वा चढ़ाएं और 21 लड्डू का भोग अर्पित करें।
- बता दें कि चतुर्थी व्रत के दिन श्री गणेश जी की पूजा करने से साधक को बल एवं बुद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही कुंडली में बुध ग्रह मजबूत स्थिति में आते हैं।
- विनायक चतुर्थी व्रत के दिन श्री गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में गणेश जी की आरती करना ना भूलें। मान्यता है कि बिना आरती के कोई भी पूजा सफल नहीं होती है।