वाशिंगटन, 30 सितंबर (आईएएनएस)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस बात से हैरान रह गए कि अमेरिका में बहुत कम लोग, विशेष रूप से जिन अधिकारियों से उन्होंने पिछले दिनों मुलाकात की थी, उनमें विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन शामिल थे, जो कनाडा के प्रति उदार रवैये और आतंकवाद व उस देश में मौजूद अपराध, उग्रवाद और मानव तस्करी के फलते-फूलते गठजोड़ के बारे में जानते हैं।
मंत्री ने कहा, जागरूकता की कमी “समस्या का एक हिस्सा है”।इसलिए, उनके लिए यह महत्वपूर्ण था कि वे उनके सामने “सटीक तस्वीर” और “हमारा दृष्टिकोण” प्रस्तुत करें, ताकि चल रही बहस केवल एक या दो मुद्दों तक ही सीमित न रहे, बल्कि “कुछ मुद्दों पर चल रही बड़ी तस्वीर” तक सीमित रहे।
मंत्री ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, “भारतीयों के विपरीत, बहुत सारे अमेरिकी हैरान हैं, जिन्हें हैरानी नहीं होगी, अगर उन्हें बताया जाए कि कनाडा में ऐसे लोग हैं “जो हिंसा की वकालत कर रहे हैं या अलगाववाद की वकालत कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे संदेह है कि बहुत कम अमेरिकी यह जानते हैं। मैंने बैठकों में जो कुछ भी कहा, मुझे लगता है, अमेरिकियों के लिए वह नया था।”
थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट के एक कार्यक्रम में जयशंकर ने सबसे पहले इस अंतर को उठाया कि अमेरिकी कनाडा को कैसे देखते हैं और भारतीय कनाडा को कैसे देखते हैं।
उन्होंने कहा, “जब अमेरिकी कनाडा को देखते हैं तो उन्हें कुछ और दिखता है; जब हम भारत में कनाडा को देखते हैं तो हमें कुछ और दिखता है।”
मंत्री ने अमेरिकी अधिकारियों की परोक्ष आलोचना करते हुए कहा, वे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों की जांच में सहयोग करने के लिए भारत से आह्वान कर रहे हैं कि खालिस्तानी कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की जून में हत्या के पीछे भारत का हाथ था।
व्हाइट हाउस और विदेश विभाग के अधिकारियों ने ट्रूडो के आरोपों पर “गहरी चिंता” जताई है और कहा है कि वे जांच का समर्थन करते हैं और चाहते हैं कि भारत सहयोग करे।
रिपोर्टों के अनुसार, यह अमेरिका ही है जिसने कनाडाई लोगों को फाइव आइज खुफिया साझाकरण समझौते के हिस्से के रूप में हत्या के कथित भारत लिंक के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी, जो दोनों देशों ने यूके, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ किया है।
जयशंकर ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि उनके पास भी एक सटीक तस्वीर हो, इस मामले पर उनके पास भी हमारा दृष्टिकोण हो।”
यह एक ऐसी बातचीत है जो सभी मुद्दों पर फोकस के साथ जारी रहनी चाहिए.। मंत्री ने कहा, “मैं मुद्दों पर पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं हूं। मैं निरंकुश रुख नहीं अपना रहा हूं।” “हमने जो अपनाया है वह एक बहुत ही उचित रुख है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि पूरी बहस मुद्दे एक, मुद्दे दो और बड़ी तस्वीर पर केंद्रित हो जो कुछ समय से चल रही है, और यह एक बहुत ही गंभीर तस्वीर है।”
जयशंकर ने मौजूदा मुद्दों की गंभीरता को रेखांकित करने के लिए भारतीय मिशनों के सामने आने वाले खतरों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “आखिरी बार ऐसा कब हुआ था कि हमारे किसी मिशन को इस हद तक डरा दिया गया था कि वह अपना सामान्य कामकाज जारी नहीं रख सका? और अगर कोई कहता है कि जी7 देश में राष्ट्रमंडल देशों में ऐसा हो सकता है तो यह आपको सोचने के लिए बहुत कुछ देता है ।”
–आईएएनएस
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