नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा का बुधवार देर रात 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन से उद्योग जगत के साथ-साथ पूरे देश में शोक का माहौल है। उन्हें एक कारोबारी के अलावा परोपकारी के तौर पर भी जाना जाता है।
वे अपने पीछे बड़ी विरासत छोड़ गए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि उनके जाने के बाद उनका उत्तराधिकारी कौन होगा और टाटा ट्रस्ट की कमान कौन संभालगे, जो कि अरबों डॉलर के टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस का संचालन करती है।
रतन टाटा ने किसी भी व्यक्ति को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया था। ऐसे में अब उनके ट्रस्ट ट्रस्टियों में से ही किसी एक व्यक्ति का अध्यक्ष पद के लिए चुनाव किया जाएगा। टाटा समूह के दो मुख्य ट्रस्ट हैं, जिसमें सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट शामिल हैं। इन दोनों ट्रस्टों के पास संयुक्त रूप से टाटा समूह की प्रवर्तक कंपनी टाटा संस में करीब 52 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
इस कंपनी के द्वारा टाटा समूह की कंपनियों का संचालन किया जाता है। यह समूह विमानन से लेकर एफएमसीसी तक के पोर्टफोलियो को संभालता है। दोनों ट्रस्टों में कुल 13 ट्रस्टी हैं। इनमें से कुछ लोग दोनों ट्रस्टों में ट्रस्टी की भूमिका निभा रहे हैं, जिसमें रतन टाटा के सौतेले भाई और ट्रेंट के चेयरमैन नोएल टाटा, पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह, ऑटोमोबाइल क्षेत्र के दिग्गज वेणु श्रीनिवासन, व्यवसायी मेहली मिस्त्री और वकील डेरियस खंबाटा के नाम शामिल हैं।
टाटा ट्रस्ट के प्रमुख का चुनाव ट्रस्टियों में से बहुमत के आधार पर किया जाता है। फिलहाल विजय सिंह और वेणु श्रीनिवास इन दोनों ट्रस्टों के उपाध्यक्ष हैं, लेकिन इनमें से किसी एक के प्रमुख चुने जाने की संभावना अपेक्षाकृत कम है।
67 साल के नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का प्रमुख बनाए जाने की अधिक संभवाना है। नोएल की नियुक्ति से पारसी समुदाय भी खुश होगा। रतन टाटा पारसी थे। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि ग्रुप का नेतृत्व एक पारसी ही करे। इस ट्रस्ट ने वित्त वर्ष 2023 में 470 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया था।
–आईएएनएस
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