महाराष्ट्र से रामदास आठवले, नितिन गडकरी समेत ये 6 नेता बने मंत्री

महाराष्ट्र से रामदास आठवले, नितिन गडकरी समेत ये 6 नेता बने मंत्री

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में शिवसेना के प्रतापराव जाधव और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले समेत महाराष्ट्र से इन 6 मंत्रियों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली है। 

महाराष्ट्र से मंत्री बने नेताओं का प्रोफाइल

नितिन गडकरीः लगातार तीसरी बार मंत्री बने नितिन गडकरी 1995 में पहली बार महाराष्ट्र में बनी शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री बने और अपने उसी कार्यकाल में मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे एवं मुंबई में 55 उड़ानपुल बनाकर अपनी योग्यता का लोहा मनवाया। उनकी इसी योग्यता के कारण 1999 में बनी अटल सरकार में उन्हें प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की रूपरेखा तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया। जबकि उस समय वह महाराष्ट्र में सिर्फ विधान परिषद सदस्य भर थे।

2014 में वह पहली बार नागपुर से लोकसभा चुनाव लड़े और जीते। तब से वह मोदी सरकार में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। लेकिन उनकी पहचान केंद्रीय सड़क निर्माण मंत्री के रूप में ही स्थापित हुई है। पूरे देश में बड़े-बड़े हाइवेज का जाल बिछाकर उन्होंने विकास को एक नई दिशा प्रदान की है।

पीयूष गोयलः 2014 में बनी प्रधानमंत्री मोदी की पहली सरकार से ही विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभाते आ रहे पीयूष गोयल लगातार तीसरी बार मंत्री बने हैं। वह पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। पिछली सरकार में वाणिज्य मंत्री रहे पीयूष गोयल उत्तर मुंबई सीट से जीतकर पहली बार लोकसभा में पहुंचे हैं। इससे पहले वह राज्यसभा के सदस्य रहे हैं।

रामदास आठवलेः महाराष्ट्र की राजनीति का एक प्रमुख दलित चेहरा रामदास आठवले भी मोदी सरकार में तीसरी बार मंत्री बने हैं। बाबा साहेब आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर के बाद नवबौद्ध दलित नेताओं में उनका ही जनाधार सबसे ज्यादा माना जाता है। वह राज्यसभा सदस्य हैं। उन्हें पुनः मंत्री बनाकर भाजपा कुछ माह बाद होनेवाले विधानसभा चुनाव में दलित मतदाताओं को अपने साथ जोड़े रखना चाहती है।

रक्षा खडसेः सरपंच से अपनी राजनीति की शुरुआत करनेवाली रक्षा खडसे महाराष्ट्र की रावेर सीट से तीसरी बार लोकसभा सदस्य चुनी गई हैं। लेकिन अब पहली बार उन्हें मोदी कैबिनेट में महाराष्ट्र से एकमात्र महिला मंत्री के रूप में शामिल किया गया है।

वह भाजपा में ओबीसी वर्ग का प्रमुख चेहरा रहे एकनाथ खडसे की पुत्रवधू हैं। खडसे तीन साल पहले भाजपा से नाराज होकर राकांपा में चले गए थे। अब उनकी घरवापसी की चर्चा चल रही है। माना जा रहा है कि एकनाथ खडसे को वापस लाकर भाजपा अगले विधानसभा चुनाव में ओबीसी मतों को साधने का प्रयास करेगी।

मुरलीधर मोहोलः पुणे से पहली बार चुनकर गए मराठा नेता मुरलीधर मोहोल ने अपना सार्वजनिक जीवन पुणे के एक गणेश मंडल से की थी। उसके बाद वह चार बार पुणे महानगरपालिका के लिए सभासद चुने गए और पुणे के महापौर भी रहे। उनकी एक और विशेषता उनका पहलवान होना भी है। पुणे सहित पूरे पश्चिम महाराष्ट्र में गांव-गांव में अखाड़ों की परंपरा है।

इस खेल संस्कृति को बढ़ावा साहूजी महाराज ने दिया था। चूंकि इस बार पश्चिम महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी राकांपा (शपा) मजबूती से उभरी है, और मराठा समाज की नाराजगी भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस से दिखाई दे रही है। ऐसी स्थिति में मोहोल अखाड़ा संस्कृति और अपने मराठा होने के कारण विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं।

प्रतापराव जाधवः महाराष्ट्र से मित्रदलों की ओर से मंत्री बननेवाले प्रतापराव जाधव एकमात्र व्यक्ति हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने तीन बार चुने गए अपने पुत्र डा.श्रीकांत शिंदे के बजाय प्रतापराव जाधव का नाम आगे बढ़ाया है।

E-Magazine