ठाकुर सज्जन सिंह का भदेस अंदाज आज भी मिसाल, बड़े पर्दे का कलाकार जिसे छोटी स्क्रीन ने दिलाई पहचान

ठाकुर सज्जन सिंह का भदेस अंदाज आज भी मिसाल, बड़े पर्दे का कलाकार जिसे छोटी स्क्रीन ने दिलाई पहचान

नई दिल्ली, 19 सितंबर (आईएएनएस)। ‘मस्त रहो, जिअत रहो, जितत रहो, महादेव!’ मिलने वालों से यही कहते थे ‘मन की आवाज: प्रतिज्ञा’ के ‘ठाकुर सज्जन’ सिंह यानि अनुपम श्याम ओझा। जो 20 सितंबर को 67 साल के होते लेकिन अफसोस अपने नेगेटिव किरदार से रोमांच पैदा करने वाला ये कलाकार 2021 में ही दुनिया को अलविदा कह गया।

अनुपम श्याम ओझा खांटी इलाहाबादी अंदाज में खुद को दर्शकों के बीच परोसकर हिट हो गए। पढ़े लिखे भी खूब थे। आर्टिस्ट बेमिसाल थे। सालों से बड़े पर्दे की उम्दा फिल्मों में दम खम दिखाया। बैंडिट क्वीन, शक्ति, सरदारी बेगम, तमन्ना जैसी फिल्मों में एक खास वर्ग की नजर में आए लेकिन दशकों बाद सफलता का स्वाद चखाया ‘मन की आवाज: प्रतिज्ञा’ टीवी सीरियल ने। घर-घर में मशहूर हुए, लोगों में प्रतिज्ञा के ससुर सज्जन सिंह का खौफ बिठाया। लंगड़ा कर चलना, लंबी दाढ़ी और ठेठ इलाहाबादी दबंग किरदार से लोगों को प्यार सा हो गया। खूब चला ये शो और अनुपम श्याम को भी नया मुकाम दिलाया।

अनुपम का जन्म 20 सितंबर 1957 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में हुआ था और 8 अगस्त 2021 को 63 की उम्र में मल्टी ऑर्गेन फेल्योर की वजह से मुंबई में निधन हो गया। इलाज लंबा चला था। डायलिसिस पर थे। आर्थिक स्थिति भी थोड़ी डगमगाई। तो दबंग सज्जन सिंह ने मदद मांगने से भी गुरेज नहीं किया। मदद को हाथ भी बढ़े। सह कलाकारों के ही नहीं बल्कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी 20 लाख दिए।

प्रतापगढ़ में जन्मे लेकिन लखनऊ में थिएटर सीखा तो वाराणसी से भी खास रिश्ता रहा। यहां उनका ननिहाल था। कहते थे बचपन यहीं गुजरा। यही वजह है कि जब प्रतिज्ञा सीरियल ऑफर हुआ तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई। एनएसडी पास आउट कहते थे कि यूपी के अलग-अलग शहरों का अंदाज मुझे पता था, मेरे रोम रोम में यूपी की कई लैंग्वेज रची बसी है…चूंकि सज्जन इलाहाबाद का था सो मैंने इलाहाबादी अंदाज में खुद को पोट्रे किया। वाकई इस दबंग ठाकुर को जब भी पर्दे पर देखा गया वो उसका आनंद उठाता, उसे जीता ही नजर आया।

नेगेटिव किरदार पर्दे पर जीने वाले अनुपम श्याम बेहद शालीन थे। अपनी बोली से प्यार इतना था कि सेट पर भी ठेठ अंदाज में ही सह कलाकारों से पेश आते थे। ‘स्लमडॉग मिलेनियर’, ‘द वॉरियर’, ‘थ्रेड’, ‘शक्ति’, ‘हल्ला बोल’, ‘रक्तचरित्र ‘जय गंगा’ जैसी देसी विदेसी फिल्मों के जरिए आज भी हिंदी सिनेमा जगत में जिंदा है ये कलाकार!

–आईएएनएस

केआर/

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