गाजा पट्टी में रहने वाले अली अल-दाबा (40 वर्षीय) का कहना है कि उन्होंने बमबारी में लोगों को क्षत-विक्षिप्त शव देखे हैं, जिनकी पहचान करना भी मुश्किल है। ऐसे हालात में उन्होंने अपने परिवार को अलग-अलग रखने का फैसला किया है ताकि एक हमले में उनका पूरा परिवार खत्म ना …
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