नातो नाते राम कें, राम सनेहँ सनेहु। तुलसी माँगत जोरि कर, जनम-जनम सिव देहु… अर्थात तुलसीदास हाथ जोड़कर वरदान मांगते हैं कि हे शिवजी! मुझे जन्म-जन्मान्तरों में यही दीजिए कि मेरा श्रीराम के नाते ही किसी से नाता हो और श्रीराम से प्रेम के कारण ही प्रेम हो। श्रीरामचरित मानस …
Read More »