दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि स्पेक्ट्रम के आवंटन में नीलामी की प्रक्रिया ही अपनाई जा रही है और मोबाइल जैसी सेवाओं के लिए आगे भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। पुलिस की वाकी-टाकी, सेना की संचार सेवा, विमान के लिए रडार सेवा, मौसम का पूर्वानुमान या फिर अन्य रणनीतिक मामले के लिए ही बिना नीलामी के स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जाएगा। इसका प्रविधान टेलीकाम बिल में किया गया है।
इस बात की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देने के लिए ही सरकार ने टेलीकाम बिल को संसद में पेश करने से पहले गत 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दाखिल किया था। गत 18 दिसंबर को टेलीकाम बिल को संसद में पेश किया गया था। सरकार का कहना है कि स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में किसी बदलाव के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल नहीं किया गया है। गत सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मामला आने के बाद यह खबर आ रही थी कि सरकार स्पेक्ट्रम नीलामी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बदलाव चाहती है ताकि बिना नीलामी के भी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जा सके।
केवल सीमित मामलों में होगी प्रशासनिक आवंटन
सूत्रों ने कहा कि संसद द्वारा विधिवत पारित दूरसंचार अधिनियम, 2023 में अधिनियमित के तहत केवल बहुत ही सीमित क्षेत्रों को प्रशासनिक आधार पर स्पेक्ट्रम दिये जाएंगे। इसमें पुलिस के लिए वॉकी-टॉकी, मौसम की भविष्यवाणी के लिए रडार, जहाजों के लिए रडार और संचार, अंतरिक्ष और उपग्रह अनुप्रयोगों के लिए संचार, सेना, वायु सेना और नौसेना तथा सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल शामिल हैं।
सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसमें 2012 के आदेश में संशोधन का अनुरोध किया गया है, जिसका उद्देश्य चुनिंदा मामलों में प्रशासनिक आवंटन की अनुमति देना शामिल था,जहां नीलामी मार्ग का उपयोग करना तकनीकी रूप से संभव नहीं है। हालांकि, अधिकांश स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी ही आवंटन का माध्यम बनी रहेगी।
सरकार ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
सूत्र ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में मामला मूल रूप से कई मुकदमों पर विचार करते हुए उपरोक्त बिंदु पर स्पष्टीकरण के लिए एक विविध आवेदन है। संसद में टेलीकॉम बिल पेश करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया था। आवेदन में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने की मांग नहीं की गई है।