विक्रांत मैसी स्टारर '12वीं फेल' की सुप्रीम कोर्ट में की गई स्पेशल स्क्रीनिंग

विक्रांत मैसी स्टारर '12वीं फेल' की सुप्रीम कोर्ट में की गई स्पेशल स्क्रीनिंग

मुंबई, 27 सितंबर (आईएएनएस)। अभिनेता विक्रांत मैसी और मेधा शंकर की सुपरहिट फिल्म ’12वीं फेल’ की उच्चतम न्यायालय में एक स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई। इस कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने फिल्म से समाज को बेहतरीन संदेश देने के लिए निर्माता विधु विनोद चोपड़ा और फिल्म की पूरी टीम को शुभकामनाएं दीं।

इस फिल्म की स्क्रीनिंग के मौके पर सीजेआई चंद्रचूड़ के साथ उच्चतम न्यायालय के कई अन्य न्यायधीश और करीब 600 कर्मचारियों तथा उनके परिवार के सदस्य भी मौजूद थे।

फिल्म में मनोज कुमार शर्मा की कहानी को दिखाया गया है, जो गरीबी से लड़ते हुए आईपीएस अधिकारी बनने का सपना देखता है। उनकी जिंदगी पर अनुराग पाठक ने एक किताब लिखी है जिस पर निर्माता विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म बनाई है। इसे निर्देशित भी उन्होंने ही किया है।

कोर्ट परिसर के अंदर फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद मुख्य न्यायधीश और फिल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा के साथ आईपीएस मनोज कुमार शर्मा और आईआरएस अधिकारी श्रद्धा जोशी का संवाद सत्र भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम में फिल्म के मुख्य कलाकार विक्रांत और मेधा शंकर भी शामिल हुए।

फिल्म की टीम के साथ बातचीत करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “हम सभी को प्रेरणा की तलाश रहती है, हमारा समाज उम्मीद पर आगे बढ़ता है, और आप सबने हमें यह दिया है – सिर्फ आज के कार्यक्रम के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए। हमें ऐसे वास्तविक जीवन की कहानियों की आवश्यकता है, जिन्होंने परिस्थितियों का मुकाबला करते हुए उदाहरण पेश किया है। उनकी कहानियां हमारे समाज में बड़े पैमाने पर प्रचारित की जानी चाहिए। मुझे भरोसा है कि हमारे स्टाफ परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने बेटों, बेटियों, मित्रों को प्रोत्साहित करने के लिए वास्तव में प्रेरित होगा, तथा उन्हें राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए मार्गदर्शन देगा।”

उन्होंने आगे कहा कि ऐसी फिल्में हमें प्रतिदिन अपने आसपास के लोगों के साथ अच्छा करने के लिए प्रेरित करती हैं। विधु विनोद चोपड़ा ने इस फिल्म में जिस तरह से वास्तविक जीवन की कहानी को स्क्रीन पर पेश किया है, उसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं। विक्रांत और मेधा ने अभूतपूर्व अभिनय किया है। उन्होंने अपने किरदारों के जीवन और परिवेश को पूरी तरह से आत्मसात किया और फिल्म करते समय इसे अपने अस्तित्व का हिस्सा बना लिया। मैंने फिल्म देखते हुए इसे महसूस किया।

–आईएएनएस

पीएसएम/एकेजे

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