नौसेना कमांडरों का सम्मेलन आज से होगा शुरू, विमानवाहक पोतों की युद्ध क्षमता को देखेंगे रक्षा मंत्री

नौसेना कमांडरों का सम्मेलन आज से होगा शुरू, विमानवाहक पोतों की युद्ध क्षमता को देखेंगे रक्षा मंत्री

 नौसेना के कमांडरों का सम्मेलन मंगलवार से शुरू होगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना के शीर्ष कमांडर मंगलवार को अरब सागर में नौसेना के दो विमानवाहक पोतों में से एक विमानवाहक पोत पर होने वाले सम्मेलन में भारत की समुद्री सुरक्षा चुनौतियों की समीक्षा करेंगे।

नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे राजनाथ सिंह

अधिकारियों ने कहा कि द्विवार्षिक नौसेना कमांडरों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे। वह दोनों विमानवाहक पोतों की क्षमता को देखने के लिए समुद्र में उतरेंगे। ”ट्विन कैरियर आपरेशंस” में विमानवाहक आइएनएस विक्रांत और आइएनएस विक्रमादित्य युद्ध क्षमता को प्रदर्शित करेंगे।

तीन दिवसीय सम्मेलन में होगा संवाद

तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल (सीडीएस) अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी नौसेना कमांडरों के साथ कई मुद्दों पर संवाद करेंगे। सम्मेलन के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करने की संभावना है, जिसमें हिंद महासागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के साथ-साथ हाउती आतंकियों द्वारा लाल सागर और आसपास के क्षेत्रों में विभिन्न मालवाहक जहाजों को निशाना बनाने से उत्पन्न स्थिति भी शामिल है।

नौसेना के प्रवक्ता कमांडर ने दी जानकारी

नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा कि वे राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और तत्परता बढ़ाने के रास्ते तलाशेंगे। यह सम्मेलन नौसेना के कमांडरों के लिए समुद्री सुरक्षा से संबंधित रणनीतिक गतिविधियों के साथ ही वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारियों से बातचीत करने के उद्देश्य से मंच उपलब्ध कराता है। नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का पहला सत्र पिछले साल मार्च में स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर हुआ था।

कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे रक्षामंत्री

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को कर्नाटक के कारवार में भारतीय नौसेना के रणनीतिक बेस पर कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। इन्हें जिन्हें हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के दीर्घकालिक सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जा रहा है।

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