जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा तैयार होने वाला कार्यक्रम है मन की बात…

जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा तैयार होने वाला कार्यक्रम है मन की बात…

मन की बात के 110 वें संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “देश में लोकसभा चुनाव का माहौल है और जैसा कि पिछली बार हुआ था, संभावना है कि मार्च के महीने में आचार-संहिता भी लग जाएगी। ये ‘मन की बात’ की बहुत बड़ी सफलता है कि बीते 110 एपिसोड में हमने इसे सरकार की परछाई से भी दूर रखा है। ‘मन की बात’ में देश की सामूहिक शक्ति की बात होती है, देश की उपलब्धि की बात होती है | ये एक तरह से जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा तैयार होने वाला कार्यक्रम है। लेकिन फिर भी राजनीतिक मर्यादा का पालन करते हुए लोकसभा चुनाव के इन दिनों में अब अगले 3 महीने ‘मन की बात’ का प्रसारण नहीं होगा। अब जब आपसे ‘मन की बात’ में संवाद होगा तो वो ‘मन की बात’ का 111 वां एपिसोड होगा। अगली बार ‘मन की बात’ की शुरुआत 111 के शुभ अंक से हो तो इससे अच्छा क्या होगा।”

युवा उद्यमी जीव संरक्षण और पारिस्थितिकी पर्यटन को दे रहे बढ़ावा

पीएम मोदी ने कहा, “आज युवा उद्यमी भी वन्य जीव संरक्षण और पारिस्थितिकी पर्यटन के लिए नए-नए नवाचार सामने ला रहे हैं | उत्तराखंड के रुड़की में रोटर प्रिसिशन ग्रुप ने भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से ऐसा ड्रोन तैयार किया है, जिससे केन नदी में घड़ियालों पर नजर रखने में मदद मिल रही है। इसी तरह बेंगलुरु की एक कंपनी ने ‘बघीरा’ और ‘गरुड़’ नाम का ऐप तैयार किया है। बघीरा ऐप से जंगल सफारी के दौरान वाहन की गति और दूसरी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। देश के कई टाइगर रिजर्व में इसका उपयोग हो रहा है। AI और इंटरनेट पर आधारित गरुड़ ऐप को किसी CCTV से जोड़ने पर वास्तविक समय की चेतावनी मिलने लगती है। वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में इस तरह के हर प्रयास से हमारे देश की जैव विविधता और समृद्ध हो रही है।”

सरकार के प्रयासों से बाघों की संख्या बढ़ी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए टेक्नोलॉजी का खूब उपयोग हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार के प्रयासों से देश में बाघों की संख्या बढ़ी है। महाराष्ट्र के चंद्रपुर के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या ढ़ाई-सौ से ज्यादा हो गयी है। चंद्रपुर जिले में इंसान और बाघों के संघर्ष को कम करने के लिए AI की मदद ली जा रही है।”

जीवन में तकनीक का महत्व बढ़ा है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज हम सबके जीवन में तकनीक का महत्व बहुत बढ़ गया है। मोबाइल फोन, डिजिटल गैजेट्स हम सबकी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि डिजिटल गैजेट्स की मदद से अब वन्य जीवों के साथ तालमेल बिठाने में भी मदद मिल रही है। कुछ दिन बाद, 3 मार्च को ‘विश्व वन्य जीव दिवस’ है | इस दिन को वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व वन्य जीव दिवस की थीम में डिजिटल नवाचार को सर्वोपरि रखा गया है।”

महिलाएं दे रहीं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “देश के कोने-कोने में महिलाएं अब प्राकृतिक खेती को विस्तार दे रही हैं | आज अगर देश में ‘जल जीवन मिशन’ के तहत इतना काम हो रहा है तो इसके पीछे पानी समितियों की बहुत बड़ी भूमिका है। इस पानी समिति का नेतृत्व महिलाओं के ही पास है। इसके अलावा भी बहनें-बेटियां, जल संरक्षण के लिए चौतरफा प्रयास कर रही हैं।”

हर क्षेत्र में नारी शक्ति का बेहतरीन प्रदर्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज देश में कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसमें देश की नारी-शक्ति पीछे रह गई हो। एक और क्षेत्र जहां महिलाओं ने अपनी नेतृत्व क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया है, वो है प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण और स्वच्छता। केमिकल से हमारी धरती मां को जो कष्ट हो रहा है, जो पीड़ा हो रही है, जो दर्द हो रहा है हमारी धरती मां को बचाने में देश की मातृशक्ति बड़ी भूमिका निभा रही है। देश के कोने-कोने में महिलाएं अब प्राकृतिक खेती को विस्तार दे रही हैं।”

गांव-गांव में ड्रोन दीदी की चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “कुछ वर्ष पहले तक किसने सोचा था कि हमारे देश में, गांव में रहने वाली महिलाएं भी ड्रोन उड़ाएंगी, लेकिन आज ये संभव हो रहा है। आज तो गांव-गांव में ड्रोन दीदी की इतनी चर्चा हो रही है, हर किसी की जुबान पर नमो ड्रोन दीदी, नमो ड्रोन दीदी ये चल पड़ा है। हर कोई इनके विषय में चर्चा कर रहा है | एक बहुत बड़ी जिज्ञासा पैदा हुई है।” उन्होंने कहा, “8 मार्च को हम महिला दिवस मनाएंगे। यह विशेष दिन देश की विकास यात्रा में नारी शक्ति के योगदान को सलाम करने का अवसर है। महान कवि भरतियार जी ने कहा है कि दुनिया तभी समृद्ध होगी जब महिलाओं को समान अवसर मिलेंगे।”

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