विजयवाड़ा, 5 जनवरी (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश में रविवार को एक विराट जन जागरण सभा का आयोजन किया गया। इसमें देश भर के मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण से मुक्ति की मांग उठाई गई। यह सभा विशेष रूप से उन मंदिरों के प्रबंधन और नियंत्रण पर सरकारों के हस्तक्षेप को लेकर आयोजित की गई, जो अब सरकारों के नियंत्रण में हैं। सभा में हजारों श्रद्धालु और समाजसेवी शामिल हुए और मंदिरों के स्वतंत्र संचालन की आवाज उठाई।
कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं ने कहा कि मंदिर कभी सामाजिक और सांस्कृतिक एकता के केंद्र हुआ करते थे, जिनका संचालन समाज द्वारा समाज कल्याण के लिए किया जाता था। लेकिन आज स्थिति यह है कि मंदिरों की आय का एक हिस्सा सरकारों को देना पड़ता है और उनके प्रबंधन पर सरकारों का कब्जा है। इस पर सवाल उठाते हुए वक्ताओं ने कहा कि आखिर मंदिरों का नियंत्रण सरकारों के पास क्यों होना चाहिए?
सभा के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि अब यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति नहीं मिल जाती। वक्ताओं ने कहा कि यह मुक्ति का अभियान श्री राम जन्मभूमि के मुक्ति आंदोलन की तरह देशभर में फैल जाएगा।
सभा में आयोजित शंखनाद के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि अब मंदिरों का नियंत्रण समाज के हाथों में होना चाहिए और सरकारों को उनसे दूर रहना चाहिए।
यह सभा मंदिरों की स्वायत्तता की ओर बढ़ते कदमों की शुरुआत मानी जा रही है।
विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि वक्फ बोर्ड ने जिस तरह से लाखों एकड़ जमीन पर कब्जा किया हुआ है, उसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। जिस इस्लाम की उत्पत्ति 1400 वर्ष हुई है, वो मां भारती से जुड़े उन स्तंभों पर भी दावा कर रहा है, जो सैकड़ों वर्षों से लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान से ओतप्रोत कर रहे हैं। पहले इन जेहादी मानसिकता के लोगों ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों को बनाया और अब यह लोग भारत के टुकड़े करने पर आमादा हो चुके हैं, जो ठीक नहीं है। हम ऐसा बिल्कुल नहीं होने देंगे ।
उन्होंने कहा कि यह लोग जगह-जगह मिनी पाकिस्तान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी को देखते हुए अब वक्फ बोर्ड को लेकर लोगों के बीच में जनचेतना जागी है। इतना ही नहीं, अब यह लोग प्रयागराज के कुंभ को भी अपना बता रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन लोगों ने सारी हदें पार करते हुए भारतीय संसद और सुप्रीम कोर्ट को भी वक्फ की संपत्ति बता दिया था। अब इन लोगों की मानसिकता कहां जा रही है। इसका अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं।
–आईएएनएस
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