प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार ने तीसरे कार्यकाल में बड़े सुधारों की ओर कदम बढ़ाया है। लंबे समय से लटकी राष्ट्रीय मुकदमा नीति को कानून मंत्रालय ने फाइनल कर दिया है। कानून राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने कार्यभार संभालते हुए पहला हस्ताक्षर राष्ट्रीय मुकदमा नीति (नेशनल लिटीगेशन पालिसी) के मसौदे पर किया।
मेघवाल ने बताया कि कानून मंत्रालय ने राष्ट्रीय मुकदमा नीति मसौदा फाइनल कर दिया है। अब इसे कैबिनेट में रखा जाएगा। राष्ट्रीय मुकदमा नीति के लागू होने से सरकारी विभागों और विभिन्न मंत्रालयों के बीच होने वाली मुकदमेबाजी में कमी आएगी। मुकदमों का जल्दी निस्तारण होगा और मुकदमे पर आने वाला खर्च घटेगा साथ ही विभिन्न अदालतों में कुल लंबित मुकदमों का बोझ भी घटेगा।
क्या है नेशनल लिटीगेशन पालिसी?
भाजपा के संकल्प पत्र में भी नेशनल लिटीगेशन पालिसी (राष्ट्रीय मुकदमा नीति) लागू करने की घोषणा की गई थी। कहा गया था कि नेशनल लिटीगेशन पालिसी विकसित करके अदालती कार्यवाही में तेजी लाएंगे, अदालतों से जुड़ी लागत को कम करेंगे और सरकार से जुड़े मुकदमों में कमी लाएंगे। मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने तीसरी बार सत्ता में आते ही अपने इस वादे को पूरा करने की पहली सीढ़ी पार कर ली है।
राष्ट्रीय मुकदमा नीति सरकार के सौ दिन के एजेंडे का हिस्सा है। मेघवाल ने मंगलवार को एक बार फिर कानून मंत्रालय का कार्यभार संभालते हुए सरकार की प्राथमिकताएं गिनाई और कहा कि लंबित मुकदमों के शीघ्र निस्तारण का वर्क कल्चर विकसित किया जाएगा और इसके लिए जो जरूरी होगा जैसे टैक्नालाजी का दखल आदि, वह सरकार करेगी।
राष्ट्रीय मुकदमा नीति के मसौदे को किया फाइनल
मेघवाल ने कहा कि विभिन्न अदालतों, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, अधीनस्थ अदालतों यहां तक कि ट्रिब्युनल और उपभोक्ता अदालतों में लंबित मुकदमों के शीघ्र निस्तारण और जनता को जल्दी न्याय, सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि आज उन्होंने जिस राष्ट्रीय मुकदमा नीति के मसौदे को फाइनल किया है उसके लागू होने से लोगों का जीवन आसान होगा। इससे वकील, मुकदमेदार, सरकार सहित सभी हित धारकों को आसानी होगी। उन्होंने न्यायिक रिक्तियों और अन्य रिक्तियों को चरणबद्ध ढंग से भरे जाने की भी बात कही।
जुलाई से लागू होने वाले तीन नये आपराधिक कानून
मेघवाल ने कहा कि जुलाई से लागू होने वाले तीन नये आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बारे में जनता को जागरुक किया जाएगा उन्हें उसके बारे में जानकारी दी जाएगी। लोगों को बताया जाएगा कि टेक्नालाजी के समावेश से क्या होगा, जीरो एफआइआर का क्या मतलब है इस सबके बारे में जगह जगह कार्यशालाएं और सेमिनार किये जाएंगे बताया जाएगा कि इससे कैसे ईज आफ लि¨वग बढ़ेगी। यह सरकार की प्राथमिकता है।
क्या मिलेंगे फायदे?
बताते चलें कि नेशलन लिटिगेशन पालिसी लाने की बात सबसे पहले यूपीए के दूसरे कार्यकाल में उठी थी। तत्कालीन कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली नेशनल लिटीगेशन पालिसी लाए थे लेकिन यह कभी आगे नहीं बढ़ी। बाद में जब इसका दस्तावेज कैबिनेट में पेश हुआ तो उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। 23 जून 2010 को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि केंद्र ने नेशनल लिटीगेशन पालिसी तैयार की है जिसके लागू होने से विभिन्न अदालतों में लंबित मुकदमों के निस्तारण में तेजी आएगी। इससे मुकदमे के निस्तारण की अवधि 15 साल से घट कर तीन साल रह जाएगी।
सरकार सबसे बड़ी मुकदमेबाज
इसके बाद मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कानून मंत्रालय की ओर से 17 दिसंबर 2021 को एक प्रेस रिलीज जारी की गई थी जिसमें नेशनल लिटीगेशन पालिसी के विचाराधीन होने की बात कही गई थी। इस नीति का उद्देश्य लंबित मुकदमों विशेषकर सरकारी महकमों के आपस में लंबित मुकदमों को कम करना था।
बात ये है कि सरकार सबसे बड़ी मुकदमेबाज है और सरकार के विभिन्न विभागों के भी आपस में मुकदमे चलते हैं। इस नीति में सरकारी विभागों के गैर जरूरी मुकदमों को घटाने का उद्देश्य है इसके लिए सरकार ने नीति के स्तर कई कदम उठाए जाने की बात कही थी जिसका कुल परिणाम लंबित मुकदमो की संख्या में भी कमी आना और अदालतों का बोझ घटना था।