अबू धाबी, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने इजरायली सैनिकों द्वारा उत्तरी गाजा पट्टी में कमाल अदवान अस्पताल को जलाने की कड़ी निंदा की। अस्पताल में आग लगने की वजह से मरीजों और चिकित्सा कर्मचारियों को वहां से बाहर निकलना पड़ा।
शुक्रवार को विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में यूएई ने इस कृत्य को अस्वीकार करते हुए इसे अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का घृणित उल्लंघन और गाजा की पहले से ही कमजोर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर व्यवस्थित हमले का हिस्सा बताया।
मंत्रालय ने हिंसा को तत्काल रोकने का आह्वान किया। इसके साथ-साथ नागरिकों और नागरिक संस्थानों की सुरक्षा के महत्व पर बल दिया।
बयान में कहा गया है कि मौजूदा स्थिति एक भयावह मानवीय आपातकाल का प्रतिनिधित्व करती है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
यूएई ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में और गिरावट को रोकने के प्रयासों को तेज करने के साथ-साथ व्यापक और न्यायपूर्ण शांति प्राप्त करने के उद्देश्य से सभी पहलों का समर्थन करने का भी आग्रह किया।
गाजा स्थित स्वास्थ्य अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि कमाल अदवान अस्पताल एक दमघोंटू घेराबंदी से जूझ रहा है, क्योंकि इसके संचालन और शल्य चिकित्सा विभाग, प्रयोगशाला, रखरखाव इकाइयां, एम्बुलेंस इकाइयां और गोदाम पूरी तरह से जलकर खाक हो गए हैं।
इजरायली हमले से पहले उत्तरी गाजा में सबसे बड़ी चिकित्सा सुविधा, कमाल अदवान अस्पताल में लगभग 350 लोग रह रहे थे, जिनमें 75 घायल मरीज और उनके अटेंडेंट शामिल थे। इजरायली सेना ने उत्तरी गाजा में अपने सैन्य अभियानों के हिस्से के रूप में
दो महीने से अधिक समय तक अस्पताल की नाकाबंदी की हुई है, यह दावा करते हुए कि अस्पताल आतंकवादियों का गढ़ और ठिकाना है।
जॉर्डन के विदेश मंत्रालय ने इस छापे को एक जघन्य युद्ध अपराध बताया है जो गाजा में इजरायल के अपराध और अंतर्राष्ट्रीय कानून और मानवीय कानून का घोर उल्लंघन को दर्शाता है।
इसने मरीजों और चिकित्सा कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वह गाजा में नागरिकों पर हमले रोकने और इजरायल की आक्रामकता के कारण हुई बर्बादी को समाप्त करने के लिए इजरायल पर दबाव डाले।
सऊदी विदेश मंत्रालय ने भी अस्पताल में इजरायल की कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और बुनियादी मानवीय और नैतिक मानकों का उल्लंघन बताया।
–आईएएनएस
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