नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने 8 जनवरी को नई दिल्ली में आयोजित 11वें भारत-यूरोपीय संघ मानवाधिकार संवाद के दौरान लोकतंत्र, स्वतंत्रता, कानून के शासन और मानवाधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता को दोहराया। इस संवाद की सह-अध्यक्षता विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (पश्चिम यूरोप) पीयूष श्रीवास्तव और भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत हर्वे डेल्फिन ने की।
इस बातचीत में नागरिक और राजनीतिक अधिकारों, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों, भेदभाव के खिलाफ संघर्ष, धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता, धार्मिक घृणा से निपटने, अभिव्यक्ति और विचारों की स्वतंत्रता, लिंग, एलजीबीटीक्यूआई+ और बच्चों के अधिकार, महिला सशक्तिकरण, और प्रौद्योगिकी व मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गई। इसके अलावा, प्रवासियों के अधिकारों, व्यापार और मानवाधिकारों पर भी विचार-विमर्श किया गया।
भारत और यूरोपीय संघ ने भारत और यूरोपीय संघ के मतदाताओं को भी बधाई दी जिन्होंने 2024 के आम चुनाव और यूरोपीय चुनावों में भाग लिया। यह लोग राजनीतिक और चुनावी अधिकारों का एक मजबूत उदाहरण थे। दोनों पक्षों ने अपने-अपने दृष्टिकोण, उपलब्धियों और चुनौतियों को साझा किया और जुलाई 2022 के बाद हुए विकास पर चर्चा की।
बातचीत के दौरान, दोनों पक्षों ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता, अविभाज्यता, अन्योन्याश्रितता और परस्पर संबंधितता पर जोर दिया। उन्होंने नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं, संगठनों और पत्रकारों की स्वतंत्रता, स्वायत्तता और विविधता की रक्षा करने की आवश्यकता पर भी सहमति व्यक्त की। यूरोपीय संघ ने मृत्युदंड के खिलाफ अपना विरोध दोहराया, जबकि भारत ने विकास के अधिकार को एक मौलिक मानवाधिकार के रूप में मान्यता देने की अपनी स्थिति को फिर से व्यक्त किया।
दोनों पक्षों ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। जिनेवा में भारत और यूरोपीय संघ के स्थायी मिशनों के बीच नियमित आदान-प्रदान और घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई गई।
–आईएएनएस
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