मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में 'होम स्टे' बन रहा रोजगार का नया जरिया

मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में 'होम स्टे' बन रहा रोजगार का नया जरिया

भोपाल, 22 अगस्त (आईएएनएस)। ग्रामीण इलाकों में खेती-किसानी, पशुपालन और कुटीर उद्योग ही रोजगार तथा आय का जरिया हुआ करते हैं। मगर मध्य प्रदेश के कई ग्रामीण इलाकों के लोगों ने रोजगार का नया रास्ता तैयार किया है और वह है ‘होम स्टे’।

राजधानी भोपाल के पड़ोसी जिले सीहोर की ग्राम पंचायत है खारी। राजधानी से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर मुख्य मार्ग से कुछ किलोमीटर अंदर की ओर स्थित इस गांव में रोजगार का नया मॉडल तैयार हो रहा है। यहां के लोगों ने अपने आवास के ही आसपास के खाली पड़े स्थान पर ग्रामीण परिवेश को समेटे हुए होम स्टे बनाया है। यह सुविधाओं के मामले में किसी होटल से कम नहीं है, मगर ग्रामीण परिवेश का अंदर से लेकर बाहर तक एहसास कराते हैं।

इस गांव के कई परिवारों की जिंदगी में आए बदलाव की एक कहानी है। युवा कमलेश गौर बताते हैं कि उन्हें पर्यटन विकास निगम की होम स्टे योजना का पता चला। इसमें सरकारी मदद भी मिलती है और आखिरकार वे इस दिशा में बढ़ चले। गांव के 20 लोगों ने तय किया कि वह अपने-अपने घरों के खाली पड़े स्थान पर होम स्टे बनाएंगे। अब तक नौ लोग इस योजना को मूर्त रूप देने में सफल हुए हैं। एक तरफ जहां उन्हें रोजगार मिला है, वहीं दूसरी ओर उनके परिवार की व्यस्तताएं भी बढ़ गई हैं। जो पर्यटक आते हैं वे यहां विश्राम करते हैं और आसपास के इलाकों का भ्रमण करने के बाद ग्रामीण परिवेश का भोजन करना भी पसंद करते हैं। इस स्थिति में उनकी आय का एक बड़ा जरिया बन गया है होम स्टे।

एक होम स्टे के मालिक हेमराज गौर बताते हैं कि उन्हें यह अंदाजा ही नहीं था कि इस तरह का प्रयोग उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकता है। यही कारण रहा कि उन्होंने बहुत ज्यादा विचार किए बिना अपने घर के बाहरी हिस्से की खाली जमीन पर यह होम स्टे बनवाया। हर माह 10 से 15 दिन यह होम स्टे बुक रहता है। वहीं आने वाले नए-नए लोगों से संपर्क भी बढ़ता है।

एक अन्य होम स्टे के मालिक मुकेश गौर का कहना है कि वे एक तरफ अपनी खेती किसानी करते रहते हैं तो वहीं दूसरी ओर यहां आने वाले पर्यटकों के जरिए भी उनकी आय हो जाती है। यहां विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं के अलावा कई कंपनियों और संस्थाओं के अधिकारी भी आते हैं। वे यहां पूरे ग्रामीण जनजीवन का मजा तो लेते ही हैं, साथ में आसपास के पर्यटन स्थल भी घूम आते हैं।

होम स्टे बनाने वालों ने तय किया है कि वे अपनी वार्षिक आय में से एक हिस्सा गांव के विकास में भी लगाएंगे और इसके साथ उनकी कोशिश यह भी है कि जिन 20 लोगों ने होम स्टे बनाने का तय किया था, वह सभी बनकर तैयार हो जाएं। जिससे लोगों को रोजगार मिलेगा, गांव में पर्यटक आएंगे तो गांव के व्यापार में भी बढ़ोतरी होगी और जो आमदनी होगी, इसका एक हिस्सा गांव की सड़क सुधारने में, नाली सुधारने में और अन्य कामों में लगाया जाएगा।

–आईएएनएस

एसएनपी/एसकेपी

E-Magazine