निर्वाचन आयोग ने चुनाव परिणाम के बाद हटाई आदर्श आचार संहिता

निर्वाचन आयोग ने चुनाव परिणाम के बाद हटाई आदर्श आचार संहिता

लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद चुनाव आयोग ने गुरुवार आदर्श आचार संहिता हटा ली। 16 मार्च को लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी। हालांकि, विधान परिषद के द्विवार्षिक उपचुनाव के कारण कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना के स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों में आचार संहिता अभी भी लागू है।

चुनाव आयोग ने केंद्रीय कैबिनेट सचिव को लिखा पत्र

केंद्रीय कैबिनेट सचिव और राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजे पत्र में चुनाव आयोग ने कहा कि लोकसभा चुनाव और अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद आचार संहिता हटा ली गई है।

क्या होता है आदर्श आचार संहिता?

देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है। चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आदर्श आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा, विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है।

इसका उद्देश्य चुनाव प्रचार, मतदान और मतगणना प्रक्रिया को व्यवस्थित, स्वच्छ और शांतिपूर्ण बनाए रखना और सत्ता में पार्टी द्वारा राज्य मशीनरी और वित्त के किसी भी दुरुपयोग को रोकना है। हालांकि, इसे कोई वैधानिक समर्थन प्राप्त नहीं है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर इसकी पवित्रता को बरकरार रखा है।

कब हुई थी आचार संहिता की शुरुआत?

आयोग संहिता के किसी भी उल्लंघन की जांच करने और सजा सुनाने के लिए पूरी तरह से अधिकृत है। आचार संहिता की शुरुआत 1960 में केरल में विधानसभा चुनाव के दौरान हुई जब प्रशासन ने राजनीतिक दलों के लिए एक आचार संहिता तैयार करने की कोशिश की। यह संहिता पिछले 60 वर्षों में विकसित होकर अपने वर्तमान स्वरूप में पहुंची है।

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