रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (CRDO) और महिंद्रा डिफेंस ने मिलकर पहिएदार बख्तरबंद प्लेटफार्म का उन्नत संस्करण विकसित किया है। पुणे में चल रहे डिफेंस एक्सपो में इसे प्रदर्शित किया गया।
डीआरडीओ के विज्ञानी नीलेश पटेल ने कहा, यह दूसरी पीढ़ी का प्लेटफार्म है जो कई भूमिकाओं को निभाने में सक्षम है। उन्होंने कहा, परीक्षण सफल रहे हैं।
रॉकेटों का किया प्रदर्शन
कई मामलों में हम इसकी तुलना अमेरिका के स्ट्राइकर बख्तरबंद वाहनों से कर सकते हैं। डीआरडीओ ने एक्सपो में विभिन्न प्रकार के रॉकेटों का भी प्रदर्शन किया और इसमें पिनाका-मार्क 1 रॉकेट शामिल हैं।
इससे पहले एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने पुणे में महाराष्ट्र एमएसएमई डिफेंस एक्सपो का दौरा किया। उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकियों वाले रडार को अपनाने का समय आ गया है। वायुसेना कुछ दिनों में इसके लिए एलएंडटी के साथ एक नए समझौते पर हस्ताक्षर करेगी।
23 लाइसेंसिंग समझौते सौंपे
डीआरडीओ ने पुणे में एमएसएमई डिफेंस एक्सपो में कई रक्षा उत्पादकों को इलेक्ट्रॉनिक्स, लेजर प्रौद्योगिकी, लड़ाकू वाहन, नौसेना प्रणालियों और वैमानिकी सहित अन्य क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (एलएटीओटी) के लिए रविवार को 23 लाइसेंसिंग समझौते सौंपे।
डीआरडीओ की इन प्रौद्योगिकियों पर आधारित उत्पाद रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को और बढ़ावा देंगे। डीआरडीओ ने नौ उद्योग भागीदारों को समर (एडवांस मैन्युफैक्चरिंग असेसमेंट एंड रेटिंग सिस्टम) मूल्यांकन प्रमाणपत्र सौंपे। समर रक्षा विनिर्माण उद्यमों की योग्यता को मापने के लिए बेंचमार्क है।
डीआरडीओ के अध्यक्ष ने ये कहा
इस अवसर पर रक्षा निर्माताओं को संबोधित करते हुए डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी कामत ने भारतीय रक्षा उद्योगों के विकास के लिए सभी प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने बताया कि डीआरडीओ की सफलता ने न केवल देश को रक्षा प्रौद्योगिकी में अधिक आत्मनिर्भर बना दिया है, बल्कि रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में उद्योगों को अवसर भी प्रदान किए हैं।
कामत ने जोर देकर कहा कि भारतीय उद्योग के लिए सरकार की नवीनतम पहलों और नीतियों का लाभ उठाने और देश को रक्षा विनिर्माण का केंद्र बनाने का यह उपयुक्त समय है।