'काशी तमिल संगमम' का तीसरा संस्करण 15 से 24 फरवरी तक, आईआईटी मद्रास के निदेशक ने बताई खूबियां

'काशी तमिल संगमम' का तीसरा संस्करण 15 से 24 फरवरी तक, आईआईटी मद्रास के निदेशक ने बताई खूबियां

चेन्नई, 18 जनवरी (आईएएनएस)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास 15 से 24 फरवरी के बीच भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘काशी तमिल संगमम’ के तीसरे संस्करण का आयोजन करेगा। कार्यक्रम का उद्देश्य प्राचीन भारत में शिक्षा और संस्कृति के दो प्रमुख केंद्रों, काशी और तमिलनाडु, के बीच सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना है।

आईआईटी मद्रास इस कार्यक्रम के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के साथ मिलकर क्विज़ और व्याख्यान जैसे शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित कराएगा। इस आयोजन के माध्यम से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा दिया जाएगा।

कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण खुला है। इसमें पांच श्रेणियों के लोगों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं, जिसमें छात्रों, शिक्षकों, किसानों, कारीगरों, पेशेवरों, छोटे उद्यमियों, महिलाओं और शोधकर्ताओं का समावेश है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय इस कार्यक्रम के लिए वाराणसी में प्राप्तकर्ता संस्थान होगा।

आईआईटी मद्रास के निदेशक वी कामकोटि ने कहा, “यह काशी तमिल संगमम का तीसरा संस्करण है, जिसे हम पिछले दो वर्षों से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम के तहत आयोजित कर रहे हैं। इसका मुख्य उद्देश्य तमिलनाडु के लोगों को काशी से परिचित कराना है। इस यात्रा में हम 5 या 6 विभिन्न समूहों के लोगों को काशी भेज रहे हैं। यह यात्रा पूरी तरह से निःशुल्क है और भारत सरकार द्वारा प्रायोजित की गई है, जिसमें कई मंत्रालय भी शामिल हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “जो लोग इस यात्रा पर जाएंगे, उन्हें एक समृद्ध अनुभव प्राप्त होगा। वे लोग काशी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक, शैक्षिक और व्यावसायिक संबंधों को समझेंगे। इसके अलावा, वे उन स्थानों का दौरा करेंगे, जहां तमिल संस्कृति के प्रसिद्ध व्यक्तित्व, जैसे सुब्रमण्‍यम भारती, ने समय बिताया था और काशी को समझा था। वे गंगा में स्नान करेंगे और मां गंगा की यात्रा भी करेंगे। इस बार कुछ खास बातें हैं। पहली बार, हम लोगों को अयोध्या भेजने के लिए पैसे प्रदान कर रहे हैं, जबकि पहले ऐसा नहीं हुआ था। इसके बाद, लोग महाकुंभ में भी शामिल होंगे और वहां एक रात टेंट में बिताएंगे। वे इस विशाल उत्सव का अनुभव करेंगे, जिसमें करोड़ों लोग हिस्सा लेते हैं।”

उन्होंने कहा, “यह यात्रा तमिलनाडु के लोगों के लिए एक अच्छा अवसर है, खासकर उन लोगों के लिए जो यात्रा का खर्च नहीं उठा सकते। पिछली बार हमने देखा था कि कई आदिवासी लोग यात्रा पर गए और उन्हें इस अनुभव का फायदा हुआ। इस बार भी, हमें उम्मीद है कि और अधिक लोग यात्रा का हिस्सा बनेंगे। इसके अलावा, यात्रा पर जाने वाले लोगों को विशेष पास दिए जाएंगे, ताकि वे आसानी से दर्शन कर सकें। इस बार का मुख्य विषय ‘अगस्त्य’ है। पहले के संस्करणों में कोई विशेष थीम नहीं थी, लेकिन इस बार हमने तय किया है कि हम तमिल संस्कृति के महान व्यक्तित्वों को सम्मानित करेंगे। अगस्त्य एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने बिना किसी आधुनिक यातायात के पैदल यात्रा की। वे तमिल व्याकरण, सिद्ध विद्या और शैव पूजा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले थे। उन्होंने गुजरात से लेकर असम और हिमाचल से लेकर कन्याकुमारी तक की यात्रा की थी और हर स्थान पर तमिल संस्कृति का प्रचार किया।”

इस कार्यक्रम के बाद तमिलनाडु के प्रतिभागी शैक्षणिक और साहित्यिक गतिविधियों के लिए तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती के पैतृक घर, केदार घाट, काशी मंडपम और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के तमिल विभाग का दौरा करेंगे।

–आईएएनएस

पीएसएम/सीबीटी

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