नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। फिच रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2025 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में भारत में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी जैसे पेट्रोलियम उत्पादों की मांग तीन से चार प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।
रेटिंग एजेंसी ने रिपोर्ट में कहा कि इसकी वजह कंज्यूमर, इंडस्ट्रियल और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग बढ़ना है।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय तेल वितरण कंपनियों (ओएमसी) के रिफाइनरी मार्जिन वित्त वर्ष 25 के मिड-साइकिल के स्तरों से नीचे आने की उम्मीद है। इसका कारण अधिक रीजनल आपूर्ति और कच्चे तेल की किस्मों की कीमतों में अंतर कम होना है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि मार्केटिंग मार्जिन वित्त वर्ष 24 में बेहतर रहेंगे, क्योंकि कच्चे तेल की कीमत चालू वित्त वर्ष में निचले स्तरों पर रही है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि इससे तेल वितरण कंपनियों पर कम रिफाइनिंग मार्जिन के चलते आ रहा दबाव कम होगा, हालांकि एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (एचएमईएल) जैसी शुद्ध रिफाइनर कंपनियों को मुनाफे के मोर्चे पर अधिक दबाव का सामना करना पड़ेगा। हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 26 में रिफाइनिंग मार्जिन अपने मिड-साइकिल स्तर पर पहुंच जाएगा, क्योंकि रीजनल ओवरसप्लाई कम हो जाएगी और ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें हमारे अनुमान के अनुरूप गिरेंगी। इस दौरान मार्केटिंग मार्जिन का सपोर्ट बना रहेगा।
ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) जैसी अपस्ट्रीम कंपनियों के मुनाफे में कम उत्पादन और कच्चे तेल की कम कीमतों के कारण गिरावट की उम्मीद है।
फिच रेटिंग्स ने कहा कि पुराने क्षेत्रों से उत्पादित गैस की घरेलू कीमतें वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 6.5 डॉलर/एमएमबीटीयू पर सीमित रहने की उम्मीद है, क्योंकि वे एक सूत्र द्वारा निर्धारित की जाती हैं जो कीमतों को कच्चे तेल की कीमतों के 10 प्रतिशत के बराबर है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि वित्त वर्ष 2025 में भारत का कच्चा तेल उत्पादन दो से तीन प्रतिशत घटेगा, क्योंकि अपस्ट्रीम कंपनियां टेक्नोलॉजी निवेश के माध्यम से पुराने क्षेत्रों में प्राकृतिक उत्पादन में गिरावट को रोकने के लिए संघर्ष कर रही हैं। हालांकि, वित्त वर्ष 2026 में उत्पादन में कम से कम एकल अंकों के प्रतिशत की वृद्धि होनी चाहिए।
देश की कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता निकट भविष्य में बढ़ती रहेगी। इसकी वजह पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में वृद्धि होना और घरेलू स्तर पर उत्पादन समान रहना है।
–आईएएनएस
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