मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट भंग करने के केंद्र के फैसले का कड़ा विरोध किया


चंडीगढ़, 2 नवंबर (आईएएनएस)। पंजाब सरकार ने पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट और सिंडिकेट भंग करने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि हम पंजाब के साथ किसी भी तरह की धक्केशाही किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को एक वीडियो संदेश में कहा कि केंद्र ने पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट को भंग करने का फरमान जारी किया है। यह फैसला बिल्कुल गलत है और संविधान के विरुद्ध है। यह पंजाब और यहां के लोगों के हकों के खिलाफ है। हम बीजेपी के फैसले की कड़ी निंदा करते हैं।

उन्होंने कहा, “जो एक्ट विधानसभा ने बनाया हो, उसे केंद्र सरकार एक नोटिफिकेशन जारी करके भंग नहीं कर सकती है। सीनेट को विधानसभा या संसद के जरिए ही भंग किया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। भाजपा ने अपना पंजाब विरोधी चेहरा दिखाया है।”

भगवंत मान ने आरोप लगाए, “पहले भी दो बार मीटिंग हुई थीं, जिसमें पंजाब-हरियाणा के राज्यपाल और मुख्यमंत्री शामिल हुए थे। हरियाणा की मांग थी कि पंचकूला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और अंबाला के कॉलेजों को पंजाब यूनिवर्सिटी के अंतर्गत ले लिया जाए, जबकि हरियाणा खुद इससे बाहर निकला था। पंजाब सरकार ने इससे बिल्कुल इनकार कर दिया था, क्योंकि वे पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट के अंदर घुसना चाहते थे।”

पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी हमारी विरासत है। इसको संभालने के लिए जो भी करना होगा, वह करेंगे। जिस स्तर तक आवाज उठानी पड़ी, हम आवाज उठाएंगे। उन्होंने बताया कि केंद्र के फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। अभी कानूनी सलाह ली जा रही है।

वहीं, आम आदमी पार्टी के सांसद मलविंदर सिंह कंग ने कहा, “जब पंजाब की आत्मा पर हमला हो रहा हो, तो चुप रहना कोई विकल्प नहीं है।” उन्होंने घोषणा की कि वे पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ प्रदर्शन में शामिल होंगे और केंद्र के फैसले के खिलाफ आवाज उठाएंगे।

–आईएएनएस

डीसीएच/


Show More
Back to top button